कोरबा डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर बाबा साहेब लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने दलित एवं बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और दलितों के खिलाफ सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया।
वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री एवं भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार थे। उक्त कथन सभापति श्याम सुंदर सोनी ने डॉ. अम्बेडकर की 131वीं जयंती अवसर पर जिला कांग्रेस कार्यालय टी.पी. नगर कोरबा में आयोजित कार्यक्रम में उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कही।
पूर्व सभापति संतोष राठौर ने बताया कि कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की जीवन के प्रारम्भिक केरियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत की।
बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, मरणोपरांत उन्हे भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। सच्चे अर्थों में डॉ. अम्बेडकर महान मानवतावादी और देशभक्त और समाज के प्रेरक थे।
कार्यक्रम में रवि खुंटे ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जीवन सामाजिक चिंतन पर आधारित था। सामाजिक समानता, मौलिक अधिकार, मानवीय न्याय, समाजवाद तथा देश की एकता के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे।
नारायण प्रसाद कुर्रे ने बताया कि 15 अगस्त 1947 को भारत के स्वतंत्र होते ही पं. जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में बनी सरकार में डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री का पद संभाला था। उन्होने आगे बताया कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर पूरी शक्ति से जीवन भर सामाजिक उत्थान व विकास के लिए कार्य करते रहे। इस मौके पर सुरेश कुमार अग्रवाल, शांता मंडावे, सुमन डहरिया सहित अन्य कांग्रेसी उपस्थित थे।