कोरबा कोरबा जिले में करतला ब्लॉक की ग्राम पंचायत रोगदा में एक परिवार को सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलना पड़ रहा है पीड़ित परिवार ने समाज की इस कुरीति की शिकायत कलेक्टर से जनदर्शन में की थी और अपनी शिकायत में विस्तार से बताया शिकायत पर कलेक्टर ने संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को जाँच के आदेश दिए थे पर इस आदेश पर अब तक अमल नही हुआ।
ग्राम पंचायत रोगदा निवासी ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा हैं कि उनका परिवार पिछले 8 वर्षों से अपने पट्टे में मिली भूमि खसरा नम्बर 269 रकबा 0.105 हेक्टेयर पर बनाए गए तालाब में मछली पालन कर अपने परिवार का जीविकोपार्जन करते आ रहा हैं परन्तु ग्रामवासियों को नागवार गुजरा। ग्राम वासियों ने सरपंच पर दबाव बनाते हुए उनके निजी तालाब को शासन की मनरेगा योजना अंतर्गत दिए जाने का दबाव बनाया। आजीविका के लिए एक मात्र साधन होने की वजह से उस व्यक्ति ने इसे शासन को देने से इंकार कर दिया।
इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने उसका सामाजिक बहिष्कार कर पिछले 3 माह से हुक्का-पानी बन्द कर दिया है। ग्राम प्रमुखों ने फरमान जारी करते हुए परिवार को राशन एवं अन्य सामान देने से मना कर दिया और कहा गया कि जो कोई दुकानदार इन पर दरियादिली दिखायेगा उनसे 10000 अर्थदंड वसूला जाएगा। ग्रामीणों का फरमान सुनकर कोई दुकानदार इन्हें सामान नही देता इसलिए इस परिवार को रोजमर्रा की जरूरत का सामान लेने दीगर गाँव जाना पड़ता है।
सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे व्यक्ति की छोटी पुत्री का 8 मई को शादी की तारीख तय हो चुकी है। ग्रामीण क्षेत्रों में शादी विवाह में बैगा, पानी भरने वाले कि खास जरूरत होती है जो इनको गाँव वालों के तरफ से नही दिया जाएगा। इन सभी बातों की चिंता एक पुत्री के पिता को सताए जा रही है।
दबंगों ने ग्रामीणों को शादी में शरीक नहीं होने की चेतावनी दे रखी है। लिहाजा न्याय की आस लेकर उसने 19 मार्च 2022 को थाना उरगा में लिखित शिकायत दर्ज कराया लेकिन पुलिस द्वारा किसी प्रकार जाँच कार्यवाई नही की गई। परेशान ग्रामीण ने 12 अप्रैल 2022 मंगलवार को जनचौपाल में कलेक्टर के समक्ष आवेदन देकर बताया कि उनका पूरा परिवार सामाजिक बहिष्कार एवं हुक्का पानी बन्द होने से दाने-दाने को मोहताज हो रहा हैं। रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए दूसरे गांव जाना पड़ रहा है। ग्रामवासियों ने बातचीत भी बन्द कर दी है।
शिकायत पर कलेक्टर ने तत्काल संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को जाँच करने का आदेश दिया था। यहां कलेक्टर के आदेश का पालन नही किया गया जाँच अधिकारी 10 दिन बाद भी पीड़ित परिवार की सुध लेने गाँव पहुंचे और न ही सामाजिक बहिष्कार का फरमान सुनाने वालो पर किसी तरह की कार्यवाई हो सकी हैं।