कोरबा बार-बार हो रही हड़ताल और दूसरे तरह के प्रदर्शन को धता बताते हुए एसईसीएल गेवरा प्रबंधन ने उत्पादन और डिस्पैच के मामले में नई उंचाई तय की। यह जता दिया गया है कि अपनी कोशिशों पर उसे भरोसा है। दूसरे क्या कर रहे हैं इससे उन्हें कोई मतलब नहीं।
कोल इंडिया की मिनीरत्न कंपनियों में शामिल एसईसीएल की कोरबा जिले में संचालित और एशिया की सबसे बड़ी खुली खदान गेवरा परियोजना ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। कोयला डिस्पैच में यह उपलब्धि 28 मार्च 2022 को प्राप्त की है जिसमें खदान का अब तक का सर्वाधिक डिस्पैच किया गया। गेवरा परियोजना ने वर्ष 2018-19 में किए गए सर्वाधिक कोल डिस्पैच 44.3 मिलियन का अपना ही रिकॉर्ड इस वित्तीय वर्ष 2021-22 की समाप्ति से पहले 44.5 मिलियन टन कोयला डिस्पेच कर तोड़ा है।
रेल एवं रोड सेल के जरिए गेवरा खदान से कोयला डिस्पैच का यह अब तक का खदान का सर्वाधिक आंकड़ा है। हालांकि डिस्पैच का लक्ष्य 54.10 मिलियन टन दिया गया है जो पूरा होने में वक्त है लेकिन इससे पहले ही एक बड़ी उपलब्धि गेवरा परियोजना ने हासिल कर ली है। खदान के कर्मचारियों से लेकर श्रमिक संगठनों के सहयोग एवं अधिकारियों के मार्गदर्शन में कार्य करते हुए मानव श्रम ने गेवरा खदान को यह उपलब्धि प्रदान कराया है। यह उपलब्धि प्रबंधन ने तब हासिल किया है जब कई तरह की संकटों का सामना करना पड़ा।
मौसम जनित दिक्कतों के साथ-साथ कोविड-19 संक्रमण के कारण भी खदान में उत्पादन के साथ-साथ डिस्पैच का काम भी काफी प्रभावित हुआ। इसके अलावा रेलवे के द्वारा भी रेक की उपलब्धता अपेक्षाकृत नहीं की गई, एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा भी जो डिस्पैच लिया जाना था उसमें भी कमी दर्ज हुई लेकिन अनेक तरह की दिक्कतों से जूझते हुए हमने रिकॉर्ड कायम किया है।