स्कूली बच्चों का फिजिकल एग्जाम और कॉलेज में ऑनलाइन!
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा के सह प्रभारी ओ.पी. चौधरी ने राज्य सरकार द्वारा महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को ऑनलाइन परीक्षा और नन्हे मुन्ने बच्चों से लेकर बारहवीं कक्षा के बच्चों की प्रत्यक्ष परीक्षा को भूपेश बघेल सरकार की अफलातूनी बताते हुए कहा है कि यह सरकार है या कांग्रेस सर्कस चला रही है। भूपेश बघेल सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य के कॉलेजों में ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने का आदेश जारी किया है तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि स्कूली बच्चों को ऑनलाइन परीक्षा की सुविधा क्यों नहीं दी गई? केवल कॉलेज के विद्यार्थियों को ही छूट दी गई है। स्कूलों में से 9वीं और 11वीं की परीक्षाएं शुरू हो गई हैं। इन बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने का कोई इंतजाम नहीं है।
भाजयुमो के प्रदेश सह प्रभारी ओ.पी. चौधरी ने कहा है कि कॉलेज के विद्यार्थी कोरोना वैक्सीनेशन करा चुके हैं। उन्हें ऑनलाइन परीक्षा देने की सुविधा दी गई है लेकिन जो छोटे बच्चे अब तक वैक्सीनेशन की सुरक्षा से वंचित हैं, उन्हें प्रत्यक्ष तौर पर परीक्षा देने के लिए बाध्य करना निहायत बेवकूफी भरा फैसला है। यदि कांग्रेस ने अपनी छात्र इकाई एनएसयूआई के कहने पर महाविद्यालयीन परीक्षार्थियों को ऑनलाइन परीक्षा देने की सहूलियत दी है तो फिर भूपेश बघेल सरकार को तत्काल प्रभाव से राज्य के उन सभी बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता भी दे देना चाहिए जिनसे बेरोजगारी भत्ता के लिए एनएसयूआई ने आवेदन पत्र भरवाने में अहम भूमिका निभाई थी। यह सरकार एनएसयूआई के कहने पर चलेगी अथवा इसका कोई स्वयं का विवेक भी है। यह कैसा मजाक है की छोटे-छोटे बच्चे अपने विद्यालयों में जाकर परीक्षा दें और कॉलेज के विद्यार्थी ऑनलाइन परीक्षा दें। यह विसंगति किसी भी लिहाज से उचित नहीं मानी जा सकती। भूपेश बघेल सरकार या तो महाविद्यालयीन परीक्षार्थियों की परीक्षाएं भी प्रत्यक्ष रूप से आयोजित करें अन्यथा स्कूली बच्चों को भी ऑनलाइन परीक्षा की सुविधा प्रदान की जाए। वैसे कोरोना की तीसरी लहर के बाद चौथी लहर की आशंकाओं के बीच यह बहुत जरूरी है कि सभी परीक्षाएं ऑनलाइन ही संपन्न कराई जानी चाहिए।