नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि जजों पर सिर्फ राजनीतिक ही नहीं, बल्कि निजी हित समूहों का भी दबाव रहता है। उन्होंने यह बात शनिवार को 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' को दिए एक इंटरव्यू में कही। CJI चंद्रचूड़ सोमवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।CJI ने बताया कि निजी हित समूह टीवी न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया के जरिए ऐसा माहौल बनाते हैं जिससे जजों पर एक खास तरह का फैसला सुनाने का दबाव बनता है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र रहने की कीमत चुकानी पड़ती है, आपको ट्रोल किया जाएगा, आप पर हमले होंगे।
न्यायिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर CJI ने कहा कि सिर्फ उन्हीं फैसलों को देखकर न्यायपालिका की स्वतंत्रता का आंकलन नहीं किया जाना चाहिए जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया हो। उन्होंने कहा, 'यह आज हमारी राजनीति की स्थिति को दर्शाता है।' उन्होंने कहा कि ध्रुवीकृत विचारों का मतलब है कि समाज का हर वर्ग सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्रता को इस आधार पर आंकता है कि फैसला उसके पक्ष में है या नहीं।
CJI चंद्रचूड़ ने कहा, 'मैंने हमेशा संतुलन बनाने की कोशिश की है।' CJI और सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को प्रशासनिक कार्यों के लिए सरकारों के साथ मिलकर काम करना पड़ता है। उन्होंने न्यायिक बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के अपने प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि इसके लिए धन सरकारों से आता है।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए सरकारों के साथ विचार-विमर्श जरूरी है। उन्होंने जजों के चयन पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र सरकार के बीच मतभेदों का उदाहरण देते हुए अपनी बात रखी। यह मुद्दा कई बार सुर्खियों में रहा है।
सीजेआई ने कहा, 'मैं हमेशा सरकार के साथ स्पष्टवादी रहा हूं'। CJI ने उन मौकों का जिक्र करते हुए कहा जब सरकार ने कॉलेजियम के फैसले पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा, 'लेकिन सभी मतभेदों को सुलझाया नहीं जा सकता।'
सरकार द्वारा अभी तक वकील सौरभ कृपाल को हाई कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त करने के कॉलेजियम के फैसले को मंजूरी न देने के बारे में CJI चंद्रचूड़ ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनका मानना है कि न तो किसी भावी जज के यौन रुझान और न ही इस तथ्य को कि उसका साथी एक विदेशी नागरिक है, को इस काम के लिए उसकी उपयुक्तता का आकलन करते समय उसके खिलाफ नहीं रखा जा सकता है।
स्पष्ट फैसले लिखने के लिए जाने जाने वाले CJI ने कहा कि पुरानी या खराब अंग्रेजी में लिखे गए फैसले न्याय चाहने वालों के साथ अन्याय करते हैं। यह दिखाते हुए कि वह खुद पुरानी परंपराओं से चिपके नहीं हैं, उन्होंने कहा कि वह गर्म देश में वकीलों द्वारा पहने जाने वाले भारी-भरकम परिधानों को खत्म करने के पक्ष में हैं।
उन्होंने जजों को ऊंचे स्थान पर बैठाए जाने पर भी सवाल किया। उन्होंने पूछा, 'जजों को ऊंचे स्थान पर क्यों बिठाया जाए?'