कोर्ट ने कहा, 'यह व्यावहारिक नहीं है। अगर इसका पालन किया गया तो एक डॉक्टर 10-15 से ज्यादा मरीजों का इलाज नहीं कर सकेगा और कंस्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत मामले दर्ज हो सकते हैं।' याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि इससे मेडिकल लापरवाही के मामलों से बचने में मदद मिलेगी। बेंच ने कहा कि डॉक्टर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से नाखुश हैं जिसमें मेडिकल पेशे को कंस्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे में लाया गया है।