कांकेर। 21वीं सदी के सभ्य समाज वाले इस दौर में विकास अपने पर चहुंओर फैला रहा है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आधुनिक तकनीकों के बूते मनुष्य प्रगति के नित नए सोपान तय कर रहा है। नैसर्गिक सौंदर्य और प्राकृतिक सम्पदाओं से परिपूर्ण दण्डकारण्य क्षेत्र (बस्तर) भी आधुनिकता की राह चल पड़ा है, किन्तु अपनी सांस्कृतिक धरोहरों, परम्पराओं और विरासतों से सहज व अविरल स्नेह रखने वाले वनवीर (आदिवासी) आज भी शासन की योजनाओं का समुचित लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
समाज के अंतिम छोर तक विकास की पहुंच सुलभ कराने के दृढ़-संकल्प के साथ प्रदेश की साय सरकार पिछले छह माह से विभिन्न योजनाएं चला रही हैं। इन्हीं में से एक महत्वाकांक्षी योजना है- नियद नेल्लानार। विभिन्न विभागों में संचालित 34 व्यक्तिमूलक योजनाओं को बस्तर के माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर पहुंचाने संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित गांवों में शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। सुदूर बीहड़ क्षेत्रों में निवासरत आदिवासियों को अब शिविरों के माध्यम से योजनाओं की जानकारी ही नहीं, बल्कि मौके पर तात्कालिक लाभ भी मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उक्त योजना को विस्तार देने 20 करोड़ रूपए के अतिरिक्त बजट का प्रावधान भी किया है।
क्या है नियद नेल्लानार योजना :-
‘नियद नेल्लानार‘ का शाब्दिक अर्थ है- आपका अच्छा गांव, जो एक दण्डामी बोली का शब्द है। विकास से किंचित अछूते ग्रामों में सुशासन की परिकल्पना, पराकाष्ठा व प्रतिबद्धता के साथ छत्तीसगढ़ सरकार ने यह योजना लागू की है। इसके तहत प्रभावित क्षेत्र में पांच किलोमीटर की परिधि में आने वाले गांवों में मूलभूत आवश्यकताओं व सुविधाओं को शत-प्रतिशत ग्रामीणों तक पहुंचाने प्रदेश सरकार भगीरथ प्रयास कर रही है, जहां सड़क, विद्युत, पीडीएस सेंटर, आंगनबाड़ी केन्द्र, स्कूल, उपस्वास्थ्य केन्द्र, पेयजल एवं कृषि सिंचाई की सुविधाएं, पंचायत एवं सामुदायिक भवन निर्माण, मोबाइल नेटवर्क आदि जरूरतों को सम्मिलित किया गया है। कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा विकासखण्ड में ऐसे ही पांच गांव चिन्हांकित किए गए हैं जहां राज्य शासन के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा कैम्प लगाकर ग्रामीणों को मौके पर ही सेवाएं एवं सुविधाएं उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है। इनमें ग्राम पंचायत पानीडोबीर और आलपरस के आश्रित ग्राम हितुलबेड़ा, हिचाकोट, हेटारकेसा, गुंदुल व अलपर शामिल हैं जहां तिथिवार समाधान शिविर लगाए जा रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों को शासन की योजनाओं से जोड़ने इन शिविरों में आधार पंजीयन, बैंक खाते, आयुष्मान कार्ड, स्वास्थ्य जांच कार्ड, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, वन अधिकार मान्यता पत्र, सामाजिक पेंशन योजना, सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, शौचालय निर्माण, नोनी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व वंदना योजना, ड्रायविंग लायसेंस, जन्म प्रमाणपत्र सहित राजस्व विभाग के तहत नक्शा, खसरा निर्माण, जाति, निवास, आय प्रमाण-पत्र, भूमि सीमांकन, नामांतरण बंटवारा, ऋण पुस्तिका निर्माण, आरबीसी 6-4 के तहत आर्थिक सहायता आदि के लिए कैम्प लगाकर समाधान किया जा रहा है।
मिलेगी 500 युनिट तक की निःशुल्क बिजली- नियद नेल्लानार के तहत प्रदेश सरकार द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में 20 करोड़ का प्रावधान किया गया है, ताकि माओवादी प्रभावित क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति शासन की सुविधाओं से वंचित न रहे। साथ ही इन गांवों में 500 युनिट तक की बिजली निःशुल्क कर दी गई है जिसका प्रत्यक्ष लाभ इन क्षेत्रों में निवासरत ग्रामीणों को मिल सके। इस तरह प्रदेश में विकास की गंगा बहाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार अपने छह महीने की अल्पावधि में प्रदेश की जनता के जीवन को सुगम और सुगढ़ बनाने सतत् भगीरथ प्रयास कर रही है। नियद नेल्लानार योजना वनवीरों को उनके गांव और घर तक सुविधा मुहैया कराने का एक बेहतर प्लेटफॉर्म साबित हुई है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों का दंश झेल रहे ग्रामीणों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।