भोपाल । ओलावृष्टि से बर्बाद फसलों का जायजा लेने पहुंचे पूर्व विधायक के पैरों में सिर रखकर कर एक किसान रोने लगा और बोला- साहब! मैं तो बर्बाद हो गया। बस प्राण ही नहीं निकल रहे। पास में खड़े पुलिस जवान व अधिकारियों ने किसान को जमीन से उठाया। इसके बाद पूर्व विधायक और कलेक्टर आगे बढ़ गए। दरअसल ग्वालियर क्षेत्र के कोलारस के ग्राम दीगोद में ओलावृष्टि से हुए नुकसान का जायजा लेने पहुंचे पूर्व विधायक महेंद्र सिंह यादव व कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह जब किसान जानकी लाल धाकड़ के खेत पर पहुंचे तो, वह पैरों में गिर गया। अपनी व्यथा सुनाने लगा। इसी तरह से पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी की महिला किसान मक्खन देवी पत्नी शंकर का वीडियो तेजी से इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है।
जिसमें वह फसलों के बर्बाद होने से महिला बुरी तरह से रोती-बिलखती दिखाई दे रहीं है। पृथ्वीपुर के नारे खिरक निवासी मक्खन पत्नी शंकर रजक अपने खेतों में पहुंचीं तो खेतों के हालात देख ही रो पड़ी और उनके आंसू छलकने लगे। रोते हुए महिला ने कहा कि हे भगवान! यह क्या कर डाला। आसमान से अचानक आई प्राकृतिक आपदा कुछ ही समय में क्षेत्र में तबाही की तस्वीर बना गई है, जिस फसल के लिए किसानों ने जुताई, बुवाई और खाद में अपनी जमा पूंजी खर्च कर बड़ा किया था, उसके ओलों की भेंट चढ़ने से किसान परिवारों की कमर टूट गई है। बता दें कि बीते दिनों हुई बारिश और ओलावृष्टि में बुंदेलखंड के छतरपुर, नौगांव, बिजावर और बड़ामलहरा तहसील के अंतर्गत करीब आधा सैकड़ा से अधिक गावों में फसल बर्बाद हुई है।
वहीं टीकमगढ़ और निवाड़ी में भी ओलावृष्टि के कारण खेतों में खड़ी सरसों, चना, मटर को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। जब सुबह पहुंचकर उन्होंने खेतों की स्थिति देखी तो आंखें छलक उठी। इस बार की फसल से उन्हें अपना कर्ज चुकाने की उम्मीद थी। लेकिन एक बार फिर मौसम ने धोखा दे दिया। ओले गिरने से उनकी गेहूं और मटर की फसल को 40 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। मध्य प्रदेश में किसान रबी फसलों से अच्छे उत्पादन की आस लगाए हुए थे। फसल भी लहलहा रही थी लेकिन मौसम ने ऐसी करवट ली कि किसान संकट में घिर गए। बीते तीन दिनों में हुई बारिश व ओलावृष्टि से 627 गांवों में 24,012 हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद हो गई। राज्य सरकार के प्रारंभिक आकलन के अनुसार शिवपुरी जिले में सर्वाधिक 17, 403 हेक्टेयर क्षेत्र की फसल को नुकसान पहुंचा है। इसके बाद राजगढ़ और विदिशा में बर्बादी हुई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को फिर राजस्व विभाग को तत्काल सर्वे कराकर किसानों को राहत पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। मालवा-निमाड़ में शुक्रवार को बड़ा नुकसान करने वाले ओलों की मार शनिवार और रविवार को ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड के जिलों में पड़ी। ग्वालियर की डबरा-भितरवार तहसील के अलावा शिवपुरी, भिंड, श्योपुर व मुरैना जिलों और बुंदेलखंड अंचल के छतरपुर-टीकमगढ़ में फसलों को काफी नुकसान हुआ है। रविवार सुबह खेतों को ओलों से पटा देख किसान रो पड़े। किसानों का दर्द यह है कि पिछले तीन साल से बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद हो रही हैं। नाममात्र का मुआवजा मिलने से वे तंगहाली में हैं। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने बताया, छतरपुर, सागर, गुना, राजगढ़, विदिशा, शिवपुरी, रतलाम, मुरैना, मंदसौर, नीमच, उज्जैन, धार, बैतूल, टीकमगढ़ व निवाड़ी में फसलों को नुकसान होने की पुष्टि हुई है। कलेक्टरों को सर्वे करवाने को कहा गया है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि कलेक्टरों से कहा है कि अधिसूचना जारी करें और बीमा कंपनियों को नुकसान का आकलन करने के लिए सूचित करें ताकि किसानों को आर्थिक सहायता मिल सके। राजस्व विभाग भी सर्वे करवा रहा है। वहीं जबलपुर जिले की 107 सोसायटियों से लेकर निजी वेयरहाउस और कृषि उपज मंडी में खुले में पड़ा धान बारिश से गीला हो गया। सबसे ज्यादा नुकसान उन किसानों को हुआ, जो अपना धान तुलवाने के लिए कई दिनों से सोसायटी और वेयरहाउस के बाहर इंतजार कर रहे हैं। दमोह नाका िस्थत कृषि उपज मंडी पर खुले में रखा धान बारिश की वजह से खराब हो गया।
यहां पर धान के बोरों को भी खुले में रख दिया गया था। बारिश से यह बोरे भी गीले हो गए। इधर जिला विपरण अधिकारी रोहित बघेल का कहना है कि शहर में देर शाम तक किए गए सर्वे में 20 हजार बोरा धान गीला होने का अनुमान है। वहीं दूसरी ओर खुले में जबलपुर जिले में कृषि उपज मंडी से लेकर सोसायटी और वेयरहाउस में खुले में पड़ा लगभग एक लाख क्विंटल धान गीला होने की संभावना है। कई किसानों से सोसायटी में बारदाने न मिलने का आरोप लगाया। वहीं कई सोसायटी और वेयरहाउस में बारिश की संभावनाओं को देखते हुए दो दिन पूर्व ही धान को तिरपाल से ढांक दिया गया, जो गीला होने से बच गया। दमोहनाका िस्थति कृषि उपज मंडी में खुले में रखा कई हजार क्विंटर धान को बारिश से खराब हो गया। बोरे की धान भी खुले में रख दिया गया था, जिससे वह भी गीला हो गया। बोरों के नीचे बारिश का पानी भर जाने की वजह से धान गीला हो गया। इस दौरान मंडी के जिम्मेदारों की लापरवाही भी सामने आई।