नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन के बीच जुबानी जंग जारी है। 288 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होना है। जैसे-जैसे चुनाव निकट आता जा रहा है, वैसे-वैसे महाराष्ट्र चुनाव में एक और चीज की आहट सुनाई दे रही है, वह है प्याज। कभी ईरान या मध्य एशिया से पूरी दुनिया में खानपान को जायकेदार बनाने वाले इसी प्याज ने लोकसभा चुनाव, 2024 में बीजेपी को रुला दिया था। जहां बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन को प्याज वाले इलाकों की कुल 13 सीटों में 12 सीटें गंवानी पड़ी थीं। मगर, अब प्याज की यह फिजां बदल रही है।
दरअसल, अरसे से प्याज की कीमतें बढ़ी हुई हैं। दिल्ली-एनसीआर में 60 रुपए किलो से लेकर देश के कई दूसरे हिस्सों में यह 100 रुपए के पार जा चुकी है। एक्सपर्ट से समझते हैं कि क्या यह प्याज लोकसभा चुनाव की तरह बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन को मायूस करेगी या उसे जीत का जायका दिलाएगी।
बासमती ने हरियाणा जिताया, प्याज महाराष्ट्र में करेगा कमाल?
इसी साल सितंबर में केंद्र सरकार ने प्याज और बासमती चावल पर निर्यात प्रतिबंध हटा दिया था, जिसे महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों से पहले किसानों को लुभाने के प्रयास के रूप में देखा गया। इस फैसले का असर इस साल अक्टूबर में हरियाणा चुनाव में तब देखा गया, जहां बीजेपी ने एग्जिट पोल्स के सारे अनुमानों को ध्वस्त करते हुए बड़ी जीत हासिल की। एक्सपर्ट कुछ ऐसा ही कयास महाराष्ट्र चुनाव में भी लगा रहे हैं, क्योंकि निर्यात पाबंदी से भले ही देश में प्याज में दाम लगातार महंगे ही रहे हों, मगर विदेशों में प्याज भेजने से महाराष्ट्र के ओनियन बेल्ट को काफी फायदा हो रहा है।
2019 में प्याज बेल्ट में लीडर के रूप में उभरी थी बीजेपी
2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा प्याज उत्पादक इलाकों की कुल 35 विधानसभा सीटों में से 13 निर्वाचन क्षेत्रों में जीतकर यहां लीडर के रूप में उभरी थी। उसके बाद 6 सीटें अविभाजित शिवसेना, 7 पर अविभाजित राकांपा, 5 पर कांग्रेस और दो पर एआईएमआईएम की जीत हुई। दो सीटें निर्दलियों ने जीती थीं।
लोकसभा चुनाव में प्याज के चलते गंवा दी थीं 12 सीटें
लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा समेत महायुति को डिंडोरी, नासिक, बीड, औरंगाबाद, अहमदनगर और धुले समेत 'प्याज बेल्ट' की 13 में से 12 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इन छह जिलों की लोकसभा सीट में से वह केवल एक ही जीत पाई। इस प्याज बेल्ट की देश के प्याज उत्पादन में हिस्सेदारी तकरीबन 34% है। महाराष्ट्र की प्याज श्रीलंका, यूएई और बांग्लादेश भी जाती है।
क्यों बढ़ी हुई हैं प्याज की कीमतें, कब होंगी सस्ती
नागपुर की सबसे बड़ी मंडी कलमना में ट्रेडर लालचंद पांडेय के अनुसार, देश के टॉप प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में अक्टूबर में भारी बारिश के कारण लाल प्याज की नई फसल आने में देरी हुई है, जिससे पूरे देश में खासकर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में आपूर्ति की कमी हो गई है। लालचंद के अनुसार, अगले 15-20 दिनों में प्याज की नई फसल आने से उसकी घरेलू कीमतों में गिरावट आ सकती है।
प्याज का पुराना स्टॉक खत्म, नया आने में हो रही देरी
लालचंद के अनुसार, पिछले साल रबी सीजन में बोई गई प्याज की फसल मार्च, 2024 तक निकाल ली गई थी। यह स्टोर्स में जमा थी। यह पुराना स्टॉक अब खत्म हो गया है। वहीं, नई फसल आने में अभी वक्त लग रहा है। मांग और आपूर्ति में तालमेल नहीं होने की वजह से प्याज की कीमतें बढ़ी हुई हैं।
महाराष्ट्र में प्याज की तीन-तीन फसलें, चुनाव में मुद्दा
महाराष्ट्र में प्याज चुनावी राजनीति में बड़ा मुद्दा इसलिए बन जाती है, क्योंकि यह एक साल में तीन चक्रों में प्याज उगाई जाती है। महाराष्ट्र में किसान अपनी खरीफ प्याज की फसल जून और जुलाई में बोते हैं। अक्टूबर से इसकी कटाई करते हैं। वहीं, देर से आने वाली प्याज सितंबर और अक्टूबर के बीच बोई जाती है और दिसंबर के बाद काटी जाती है। प्याज की सबसे महत्वपूर्ण रबी की फसल दिसंबर से जनवरी तक बोई जाती है और मार्च के बाद काटी जाती है।
ईरान या पाकिस्तान में क्या उगाई गई प्याज
कई पुरातत्वविदों, वनस्पतिशास्त्रियों और फूड हिस्टोरियंस का मानना है कि प्याज की पैदाइश मध्य एशिया में हुई थी। वहीं, कुछ शोध में यह कहा गया है कि प्याज सबसे पहले ईरान और पश्चिमी पाकिस्तान में उगाई गई थी। ऐसा माना जाता है कि हमारे प्रागैतिहासिक काल के पूर्वजों के खानपान का अहम हिस्सा प्याज हुआ करती थी।
5000 साल से हो रही प्याज की खेती
अधिकांश शोधकर्ता इस बात से सहमत हैं कि प्याज की खेती 5000 साल या उससे अधिक समय से की जा रही है। चूकि प्याज इससे भी हजारों साल पहले से विभिन्न क्षेत्रों में जंगली रूप में उगती थी। चरक संहिता में भी प्याज से इलाज करने की बातें लिखी हुई हैं।