भोपाल । सरकारी व्यवस्था में उलझी खाद्य सामग्रियों की जांच प्रक्रिया से मिलावटखोरों की मौज है। वे बेखौफ मिलावटी-दूषित खाद्य सामग्री बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। शहर में कभी-कभार होने वाली खाद्य सुरक्षा एवं प्रशासन विभाग की जांच में हर बार मिलावट को लेकर नए खुलासे होते हैं। निरीक्षण के दौरान जब्त की गई संदिग्ध खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता रिपोर्ट मिलने में इतनी देर हो चुकी होती है कि सारी अमानक सामग्री बिक चुकी होती है। ऐसे में आम लोगों की सेहत के लिहाज से कार्रवाई रस्म अदायगी बनकर रह जाती है। मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई में भी विलम्ब होता है।
प्रदेश के अधिकांश शहरों में जांच की व्यवस्था नहीं है। उन शहरों में खाद्य सुरक्षा प्रशासन की छापेमारी में जब्त किए गए नमूने जांच के लिए अभी भोपाल स्थित राज्य स्तरीय खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं। भोपाल में प्रदेशभर के नमूने आने से प्रयोगशाला में परीक्षण का भार ज्यादा है। इस कारण एक सप्ताह में मिलने वाली रिपोर्ट दो-तीन महीने बाद तक मिल रही है।
प्रदेश में मिलावटी का बोलबाला
राजधानी भोपाल हो या प्रदेश का कोई और क्षेत्र हर जगह मिलावटी और अमानक समानों की बिक्री हो रही है। प्रदेश में मिलावटी एवं अमानक खाद्य सामग्रियों की जांच के दौरान संदिग्ध मिले ब्रांडेड कम्पनियों के खाद्य पदार्थों के नूमने तक जांच में फेल मिले हैं। पैक्ड घी, आटा, मैदा तक मिसब्रांडेड पाए गए हैं। मिलावटी दूध, नकली पनीर और घी फैक्ट्री भी पकड़ी जा चुकी है। दूध, नमकीन, कलाकंद, लड्डू, काजू, खोवा और छेना की मिठाई में भी मिलावट उजागर होती रही है। दुकानों से एक्सपायरी डेट की पैक्ड सामग्री भी भारी मात्रा में पकड़ी जाती है।
पेट, लीवर से लेकर कैंसर का खतरा
डॉक्टरों के अनुसार मिलावटी और अमानक खाद्य पदार्थों के सेवन से सेहत को नुकसान होता है। दूषित और बासी खाद्य सामग्री खाने से पेट में विकार हो सकता है।