वाशिंगटन । हाल ही में अध्ययन के अनुसार अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से 6400 से अधिक पत्रकारों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। एक अध्ययन में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगान मीडिया में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है।अभी तक 231 मीडिया घरों को बंद कर दिया गया है।अध्ययन के आधार पर हर दस मीडिया संस्थानों में से 4 मीडिया संस्थान गायब हो गए हैं। इसके साथ ही 60 प्रतिशत पत्रकार अब अफगान में काम भी नहीं कर पा रहे हैं।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे का सबसे बुरा असर महिला पत्रकारों पर हुआ है। तालिबान की सत्ता में लगभग 80 प्रतिशत महिला पत्रकारों की नौकरी चली गई है।गर्मियों की शुरुआत में अफगानिस्तान में 543 मीडिया संस्थान थे, जिनमें से नवंबर के अंत तक केवल 312 मीडिया संस्थान ही काम कर पा रहे हैं। इसका मतलब है कि सिर्फ तीन महीनों के अंतराल में अफगानिस्तान से 43 प्रतिशत मीडिया संस्थान गायब हो गए।
अध्ययन में बताया गया कि चार महीने पहले अफगान के सभी क्षेत्रों में कम से कम 10 निजी मीडिया संस्थान थे, लेकिन आज वहां कोई भी मीडिया संस्थान नहीं है। पर्वान के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में 10 मीडिया संस्थान हुआ करते थे, लेकिन आज वहां केवल तीन मीडिया संस्थान काम कर रहे हैं। पश्चिमी शहर हेरात और आसपास के क्षेत्र देश का तीसरा सबसे बड़ा मीडिया क्षेत्र था, जहां 51 मीडिया संस्थानों में से आज केवल 65 प्रतिशत गिरावट के साथ 18 संस्थान ही काम कर रहे हैं। वहीं, मध्य काबुल क्षेत्र में देश के सबसे ज्यादा मीडिया संस्थान था, लेकिन वर्तमान में वहां भी हर दो मीडिया संस्थान में एक गायब है। 15 अगस्त से पहले 148 मीडिया संस्थानों में से आज केवल 72 ही काम कर रहे हैं।
गौरतलब है, कि तालिबान ने अगस्त में अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद पहली प्रेसवार्ता में महिलाओं के अधिकारों, मीडिया की स्वतंत्रता और पूर्व सरकार में काम कर रहे सरकारी अधिकारियों को माफी देने का वादा किया था। हालांकि इन सबके अलावा अन्य लोगों को भी तालिबान के प्रतिशोध का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान की ओर से पत्रकारों पर बढ़ते अत्याचार की खबरें सामने आई हैं। साथ ही तालिबान की सत्ता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों को तालिबान द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है।