रायपुर । कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की पहचान कृषि आधारित विकसित राज्य के रूप में बन रही है और आज यहां किसानों की दुर्दशा तथा पलायन की जगह किसानों की संपन्नता के बारे में चर्चा होती है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास को और अधिक तीव्र करने के लिए छत्तीसगढ़ में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद यहां कृषि एवं किसानों की स्थिति काफी बेहतर हुई है और किसानों की बेहतरी में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का बहुत बढ़ा योगदान है। कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किसानोपयोगी कृषि प्रौद्योगिकी, नवीन किस्मों, कृषि अनुसंधान एवं इसके किसानों तक प्रसार ने प्रदेश के किसानों को खुशहाली की नई राह दिखाई है।
कृषि मंत्री श्री चौबे ने आज यहां कृषि विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय किसान मेले एवं कृषि प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए यह बात कही। शुभारंभ समारोह में रायपुर ग्रामीण विधायक सत्यनारायण शर्मा, कृषक कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष महेन्द्र चन्द्राकर, इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय प्रबंध मण्डल की सदस्य श्रीमती वल्लरी चन्द्राकर, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, संचालक कृषि यशवंत कुमार तथा संचालक उद्यानिकी श्री माथेश्वरन व्ही भी उपस्थित थे।
समारोह को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार किसानों की बेहतरी के अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रही है। गौधन विकास योजना तथा नरवा, गरूआ, घुरवा और बाड़ी जैसी किसान हितैषी योजनाओं से गांवों की तस्वीर बदल रही है। इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा किसानों से 98 लाख मीटरिक टन धान की रिकार्ड खरीदी की गई है और किसानों के खातों में 20 हजार करोड़ रूपये स्थानान्तरित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि फार्मटेक एशिया अन्तर्राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी जैसे आयोजनों से किसानों को खेती-बाड़ी की नवीनतम तकनीक एवं उत्पादों से अवगत होने का अवसर प्राप्त होता है। यहां किसानों को राज्य सरकार की किसान कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने तथा इनका लाभ उठाने का भी मौका मिलता है। श्री चौबे ने प्रदेश में कृषि के विकास में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के योगदान की सराहना करते हुए विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल इस अवसर पर कहा कि कृषि विश्वविद्यालय द्वारा निरंतर कृषकोंपयोगी कृषि प्रौद्योगिकी विकसित की जा रही है तथा अनुसंधान कार्य किये जा रहे हैं। विभिन्न फसलों की 150 से अधिक नवीन किस्में विकसित की गई है जो अधिक उत्पादन देने तथा विभिन्न रोग-व्याधियों का मुकाबला करने में सक्षम हैं। विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित 27 कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से इस नवीन प्रौद्योगिकी तथा अनुसंधान को किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगले वित्तीय वर्ष में साजा और पैंडरा में नये कृषि विज्ञान केन्द्र प्रारंभ किया जाना प्रस्तावित है।
डॉ. चंदेल ने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार के सहायोग से विश्वविद्यालय में 14 करोड़ रूपये की लागत से स्थापित बायोटेक हब के माध्यम से प्रदेश के युवाओं को बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नवाचार एवं स्टार्टअप स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव जी.के. निर्माम, संचाक अनुसंधान डॉ. पी.के. चन्द्राकर, निदेशक विस्तार डॉ. आर.के. बाजपेयी, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एम.पी. ठाकुर, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. जी.के. श्रीवास्तव एवं विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष प्राध्यापक, वैज्ञानिक एवं बड़ी संख्या में किसान एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।