रूस के लिए फिर खतरे की घंटी

Updated on 24-07-2022 10:58 PM

मॉस्को अस्थिरता से जूझ रहे रूस के चेचेन्या में एक बार फिर संघर्ष के हालात उत्पन्न हो गए है। चेचेन्या गृहयुद्ध की आग में झुलसने को तैयार है। इस बार चेचेन्या के विद्रोहियों ने अपने ही सरदार के खिलाफ बगावत का ऐलान कर दिया है। बताया जा रहा है कि चेचन्या रिपब्लिक का चीफ रमजान कादिरोव व्लादिमीर पुतिन के निर्देश पर यूक्रेन में जंग लड़ रहा है।

रमजान कादिरोव को पुतिन का काफी खास बताया जाता है। उसके साथ चेचेन विद्रोहियों की सेना भी यूक्रेन में जंग में उलझी हुई है। ऐसे में अगर चेचेन्या में फिर से हिंसा शुरू हुई तो पूरा रूस अस्थिर हो सकता है। साल 2003 से अभी तक रूस के स्वायत्त क्षेत्र चेचेन्या में शांति बनी हुई है। ब्रिटिश मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रमजान कादिरोव का विरोध करने वाले विद्रोहियों ने यूक्रेन के समर्थन में अपनी बटालियनें बना ली हैं। ऐसी ही एक यूनिट का नाम एक शीर्ष चेचन कमांडर और इस्लामी नेता शेख मंसूर के नाम पर रखा गया है।

 शेख मंसूर ने 18 वीं शताब्दी के अंत में रूसियों से लड़ाई लड़ी थी। इस बटालियन के एक प्रवक्ता इस्लाम बेलोकिएव ने हाल ही में एक वीडियो जारी कर कहा कि चेचन विद्रोही अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने दावा किया कि विद्रोही स्थानीय आबादी के साथ रूसी सैनिकों की संख्या और उनके मूवमेंट के साथ-साथ हथियारों के प्रकार और हथियारों की मात्रा के बारे में खुफिया जानकारी जुटा रहे हैं।
बेलोकिव ने कहा कि हम दुश्मन के पोजीशन को जानते हैं, जहां रूसी सैन्य ठिकाने हैं। अगर चेचन्या में गृहयुद्ध शुरू होता है, तो रूस गिर जाएगा। रूसी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चेचन्या में और संघर्ष के खतरे बेकार नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि अगर चेचेन्या में हिंसा शुरू होती है तो रूस को यूक्रेन से अपने सैनिकों को वापस बुलाना पड़ सकता है। अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के पूर्व खुफिया अधिकारी रिबका कॉफलर ने बताया कि अगर चेचेन्या में हिंसा फैलती है तो यह रूस के लिए काफी बुरा हो सकता है। चेचेन लड़ाके जानते हैं कि पुतिन की सेना का पूरा ध्यान यू्क्रेन पर है।


चेचेन्या रूस के दक्षिणी हिस्से में स्थित कॉकस क्षेत्र का उत्तरी हिस्सा है। एक समय ऐसा भी था जब चेचन्या अपने तेल भंडार, अपनी अर्थव्यवस्था और अपने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कारण काफी अग्रणी क्षेत्र माना जाता था। लेकिन, 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद इस इलाके में आतंकवाद और रूसी सेना से युद्ध ने सबकुछ बर्बाद करके रख दिया। ऐतिहासिक रूप से चेचेन्या पिछले 200 साल से रूस के लिए समस्या बना हुआ है। चेचेन्या का पुराना इतिहास भी रक्तरंजित रहा है। यहां के लड़ाके 15वीं सदी में ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ लड़े थे। रूस के बढ़ते प्रभाव के कारण 1817 में चेचेन्या में कॉकस युद्ध शुरू हो गया।

साल 1858 में रूस ने चेचेन्या में इमाम शमील के विद्रोह को कुचला था। उनके नेतृत्व में इस्लामी लड़ाके इस क्षेत्र को रूस से अलग एक देश बनाने की मांग को लेकर हिंसक गतिविधियों में लिप्त थे। 1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तब चेचेन्या के विद्रोहियों को भी एक मौका दिखा। उन्होंने तब नए नए रूसी गणराज्य के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया। उनकी मांग थी कि चेचेन्या को भी रूस से अलग एक देश की मान्यता दी जाए। लेकिन, रूस किसी भी कीमत पर इन विद्रोहियों को मान्यता देने और आजादी के लिए तैयार नहीं था। चेचेन्या के इन विद्रोहियों का नेतृत्व तब रूसी वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारी दूदायेव कर रहे थे। उस समय रूस के राष्ट्रपति राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने चेचेन विद्रोहियों से चर्चा के लिए सैकड़ों अफसरों को तुरंत ग्रोज्नी रवाना किया, लेकिन विद्रोहियों ने सभी अधिकारियों को वापस लौटा दिया।


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