मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि स्वतंत्रता आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार करने में पत्रकारों की अहम भूमिका थी। चाहे गांधी जी हों, तिलक हों, पंडित मोतीलाल नेहरू हों या गणेश शंकर विद्यार्थी। इन्होंने देश की स्वातंत्र्य चेतना को पत्रकारिता के माध्यम से स्वर दिये। उनके दिये गये संस्कार न्यू मीडिया के लिए धरोहर की तरह हैं। लोकतांत्रिक मूल्यों के सजग प्रहरी के रूप में उन्होंने पत्रकारिता की भूमिका स्थापित की।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी लोकतंत्र को मजबूत बनाने में चौथे स्तंभ की प्रखर भूमिका में पत्रकारिता रही। आजादी के बाद किसानों, वनवासियों और श्रमिकों जैसे वंचित वर्गों की आवाज बनकर पत्रकारिता उभरी। मुख्यमंत्री श्री बघेल आज भिलाई सेक्टर-4 के एस.एन.जी. स्कूल ऑडिटोरियम में न्यू इंडिया का न्यू मीडिया विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी, पत्रकारिता अलंकरण एवं सम्मान समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक बाजार के इस दौर में पत्रकारिता को नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। तकनीक ने सोशल मीडिया के माध्यम से संप्रेषण और अभिव्यक्ति के लिए खुला मंच दिया है। देश और समाज विरोधी ताकतें इसका इस्तेमाल सांप्रदायिकता, जातिवाद, नफरत आदि दुष्प्रचार फैलाने के लिए कर सकती है। पत्रकारिता के सरोकारों को बनाये रखने के लिए इन चुनौतियों से निपटना बेहद आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि हमारे यहां सत्य की खोज की परंपरा रही है शास्त्रार्थ की परंपरा रही है हमें सत्यान्वेषी होना चाहिए। हमारे देश में विरोधी आवाजों को भी सुनने की परंपरा रही है।
सूचना प्रवाह के साथ अनेक भ्रामक खबरें एवं गलत जानकारियां भी प्रचलित होती है यदि हम सूचनाओं के तह तक जाएं, प्रामाणिक इतिहास का अध्ययन करें तो सही तथ्य उजागर होंगे। भारत के इतिहास को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। जब हम सत्यान्वेषण करेंगे तो अपने आप असल तस्वीर हमारे हमारी आंखों के सामने होगी। आज के समय में अंधकार गहरा है पर हमें उम्मीद की किरण जगानी होगी। न्यू मीडिया के दौर में पत्रकारों के लिए यह अहम जिम्मेदारी है।