मालदीव में इंडिया आउट कैंपेन चलाने वाले राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी ने संसदीय चुनाव में जीत हासिल की है। कल (21 अप्रैल) 93 सीटों पर हुए चुनाव में शुरुआती नतीजे आ चुके हैं। इनमें मुइज्जू की पार्टी नेशनल पीपुल्स कांग्रेस और उनकी समर्थक पार्टियों को 71 सीटें मिली हैं। इस पर चीन ने मुइज्जू को बधाई दी है।
जबकि भारत समर्थक MDP को मात्र 12 सीटें हासिल हुई। संसद में बहुमत के लिए 47 से ज्यादा सीटों की जरूरत थी। नतीजों की आधिकारिक घोषणा में एक हफ्ते का समय लगेगा। वहीं, मालदीव की संसद का कार्यकाल मई में शुरू होगा। न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक मुइज्जू की जीत भारत के लिए बड़ा झटका है।
भारत और चीन की इस चुनाव पर कड़ी निगाह थी। दोनों रणनीतिक रूप से अहम मालदीव में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। मुइज्जू की पार्टी की जीत के बाद अब मालदीव में आने वाले 5 साल तक चीन समर्थक सरकार रहेगी।
8 से 66 सीटों पर पहुंची मुइज्जू की पार्टी
मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी को पिछले संसदीय चुनाव में मात्र 8 सीटें हासिल थीं। इसके चलते राष्ट्रपति होने के बावजूद मुइज्जू न तो अपनी पॉलिसीज के मुताबिक बिल पास करा पा रहे थे और न ही बजट पास करा पाए। अब 71 सीटें जीतने के बाद विपक्षी पार्टी उनके रास्ते में कोई रुकावट पैदा नहीं कर सकेगी।
चुनाव में भारत समर्थक मानी जाने वाली मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) को करारी शिकस्त मिली है। MDP ने 89 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। इनमें से दर्जनभर उम्मीदवारों को ही जीत हासिल हो पाई है। मुइज्जू सरकार में एक सीनियर अधिकारी ने न्यूज एजेंसी AFP से कहा था कि जियोपॉलिटिक्स चुनाव में अहम मुद्दा था।
अधिकारी के मुताबिक मुइज्जू भारतीय सैनिकों को देश से निकालने के वादे पर जीते थे। वो इस पर काम भी कर रहे हैं पर संसद इसमें उनकी मदद नहीं कर रही थी। मुइज्जू ने राष्ट्रपति चुनाव की तरह संसदीय चुनाव में भी भारतीय सैनिकों को मालदीव से निकालने के मुद्दे का सहारा लिया था।
भारत-मालदीव के रिश्तों में तनाव की वजह...
15 नवंबर 2023 को मालदीव के नए राष्ट्रपति और चीन समर्थक कहे जाने वाले मोहम्मद मुइज्जू ने शपथ ली थी। इसके बाद से भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास आई है। नतीजा ये हुआ कि मालदीव ने वहां तैनात 88 भारतीय सैनिकों को निकालने का फैसला किया। इनमें से अब तक 25 सैनिक वापस आ चुके हैं। ये दो हेलिकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन संभालते रहे थे। इनकी सिविलियन्स लेंगे। आमतौर पर मालदीव में इन हेलिकॉप्टर्स का इस्तेमाल रेस्क्यू या सरकारी कामों में किया जाता है।
मालदीव से बिगड़ते रिश्तों के बीच प्रधानमंत्री मोदी लक्षद्वीप दौरे पर गए और उन्होंने लोगों से घूमने के लिए वहां आने की अपील की। इस पर मालदीव के कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी और भारत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की। पलटवार करते हुए कई भारतीय टूरिज्म कंपनियों और लोगों ने मालदीव को बॉयकॉट करना शुरू कर दिया। इससे मालदीव जाने वाले भारतीय टूरिस्टों की संख्या में तेजी से गिरावट आई।
इसी दौरान मालदीव के राष्ट्रपति चीन के दौरे पर गए और वापस लौटकर कहा कि कोई देश उन्हें धमका नहीं सकता। मुइज्जू ने मालदीव का समर्थन करने के लिए चीन के लोगों से उनके देश घूमने आने की अपील की। इसके बाद मालदीव ने भारत के साथ हुए हाइड्रोग्राफिक सर्वे एग्रीमेंट को भी खत्म कर दिया।
चुनाव से पहले सारे आरोपों से बरी हुए अब्दुल्ला यामीन
मालदीव में चुनाव से पहले एक अहम घटना हुई। वहां की एक हाईकोर्ट ने चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को उन पर लगे सभी आरोपों से बरी कर दिया। यामीन पर 2 मामलों में भ्रष्टाचार के आरोप थे। जिसके चलते उन्हें 11 साल की सजा मिली थी। मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद यामीन को जेल से निकाल कर हाउस अरेस्ट में रखा गया था।
हाइकोर्ट के आदेश के बाद वो चुनावी राजनीति में फिर सक्रिय हो सकते हैं। हालांकि, इस बात की संभावना कम है कि वो मुइज्जू की पीपुल्स नेशनल कांग्रेस का साथ देंगे। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी पीपुल्स नेशनल फ्रंट बना ली थी। हालांकि, इस बार के संसदीय चुनाव में उन्हें एक भी सीट मिलती नजर नहीं आ रही है।
मुइज्जू-यामीन साथ आए तो भारत की चिंता बढ़ेगी
राष्ट्रपति बनने से पहले मोहम्मद मुइज्जू मालदीव की राजधानी माले के मेयर थे। 2018 में जब मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन को सत्ता छोड़नी पड़ी तब मुइज्जू देश के कंस्ट्रकशन मिनिस्टर थे।
यामीन के जेल जाने पर मोहम्मद मुइज्जू को उनकी पार्टी को लीड करने का मौका मिला। यामीन की तरह ही मुइज्जू भी चीन के हिमायती बने रहे। एक्सपर्ट्स के मुताबिक यामीन ने भले ही अब अलग पार्टी बना ली है पर चीन और भारत को लेकर उनके स्टैंड में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। अगर मुइज्जू और यामीन साथ आते हैं तो ये भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है।