नई दिल्ली : भारत के सर्वोच्च कारोबारी संगठनों में शुमार एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने समग्रता में कदम उठाते हुए स्वस्थ जीवनशैली और बचाव के कदमों को प्रोत्साहित करने के लिए 'इलनेस टु वेलनेस' के नाम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया है। हाइजीन ब्रांड सैवलॉन द्वारा समर्थित इस कार्यक्रम की शुरुआत 'इलनेस टु वेलनेस – द योगा वे के नाम से आयोजित वेबिनार के साथ हुई। इसमें अग्रणी स्वास्थ्य एवं योग विशेषज्ञ और उद्योग जगत के अगुआ लोगों ने इस विषय पर चर्चा की कि वायरसों के कारण पैदा होने वाली परेशानियों और कोविड-19 जैसी अन्य बीमारियों से लड़ने में योग कैसे मददगार हो सकता है
सत्र के दौरान एक अहम वक्ता के तौर पर उपस्थित रहे आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा के डायरेक्टर डॉ. ईश्वर वी. बसवारेड्डी ने बताया, "हमने दिल्ली सरकार द्वारा संचालित कोविड केंद्रों पर 30 योग प्रशिक्षक नियुक्त किए हैं, जो मरीजों को सुबह तीन घंटे योग सिखाएंगे। साथ ही, हमने आसपास के 11 जिलों में कोविड के मरीजों के लिए योग कक्षाओं का आयोजन किया है। हमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से इस संबंध में 500 आवेदन मिले हैं कि कोविड के मरीजों को योग किस तरह फायदा पहुंचाता है और हम इस दिशा में प्रतिष्ठित योग संस्थानों के साथ मिलकर तीन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इस कार्यक्रम को कोविड मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों जैसे परिवार के सदस्यों, पुलिस कर्मियों, स्वास्थ्य कर्मियों आदि तक विस्तार दिया जा रहा है।
सदियों से योग उत्तम मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए एक प्रमाणित माध्यम रहा है। कोविड-19 महामारी के कारण सेहत पर पड़ने वाले विभिन्न दुष्प्रभावों के चलते इम्यूनिटी को मजबूत करने की दिशा में लोगों का फोकस बढ़ने के कारण बीमारी से कल्याण (इलनेस टु वेलनेस) के सफर में इस प्राचीन एवं आध्यात्मिक विधा की भूमिका उभरकर सामने आई है। अन्य प्रतिष्ठित वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि वेलनेस केवल चुनौती के इस दौर में ही नहीं, बल्कि सामान्य दिनों में भी महत्वपूर्ण है।
यूएन इन्फॉर्मेशन सेंटर फॉर इंडिया एंड भूटान के डायरेक्टर और ऑफिस-इन-चार्ज श्री राजीव चंद्रन ने अपने विचार साझा करते हुए बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने योग को स्वीकारा है और 193 में से 175 देश एक सुर में वार्षिक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने पर सहमत हुए हैं। कोविड-19 महामारी ने वेलनेस की अवधारणा को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। अब वेलनेस को केवल किसी व्यक्ति या समुदाय की रणनीति के तौर पर नहीं देखा जा रहा है, बल्कि इसे धरती और समाज से लोगों के संबंध के व्यापक आयाम में देखा जा रहा है।
सही जीवनशैली और वेलनेस स्ट्रेटजी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान के चांसलर और इंडियन योग एसोसिएशन के प्रेसिडेंट (पद्म श्री) गुरुजी डॉ. एच. आर नागेंद्र ने कहा, “मौजूदा कोविड महामारी की स्थिति में योग-जीवन जीने का तरीका- बड़े पैमाने पर लोगों के कल्याण में भूमिका निभा सकता है। कोरोना वायरस में मनुष्य के जीवन को संक्रमित और प्रभावित करने की क्षमता है। हालांकि हमारा इम्यून सिस्टम भी बहुत मजबूत हैहमारी श्वेत रक्त कोशिकाएं (डब्ल्यूबीसी) कोरोना समेत कई वायरस से निपटने में एक दमदार सेना की तरह काम करती हैं। तनाव हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर करता है और हम कोरोना के हमले का शिकार हो जाते हैं। बीमारी से तो कोई व्यक्ति दवा, टीका या अन्य सप्लीमेंट के जरिये ठीक हो सकता है, लेकिन हमारी इम्यूनिटी को बढ़ाने का योग एकमात्र साधन है।"
अपने विचार साझा करते हुए एसोचैम सीएसआर काउंसिल के चेयरमैन श्री अनिल राजपूत ने कहा, "कोविड महामारी ने इंसानों को यह बड़ा पाठ पढ़ाया है कि नए उभरते स्वास्थ्य संकटों के लिए मेडिकल साइंस के पास तुरंत कोई समाधान नहीं उपलब्ध है। इसलिए हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा और बचाव के कदमों व स्वस्थ जीवनशैली पर फोकस स ट् वेलनेस को सही समय पर उन पहलुओं पर ध्यान देने के लिए लॉन्च किया गया है, जो संभवतः कहीं हमारे दिमाग में तो थे, लेकिन जीवन की भागदौड़ में इनको हम अमल में नहीं ला पाए। स्वस्थ खानपान, व्यायाम, साफ सफाई की आदतें, समय से बचाव से जुड़े कदमों को अपनाना ऐसे ही कुद अहम पहलू हैं, जिनका बहुत महत्व है।"