लंदन । हर सप्ताह पृथ्वी के पास किसी न किसी क्षुद्रग्रह या अन्य पिंड के गुजरने की खबर आती है। वैज्ञानिक गणना करने लगते हैं कि पिंड पृथ्वी से टकराएगा या नहीं। अगर नहीं तो कितनी दूर से गुजरेगा। पिछले माह खगोलविद पृथ्वी की ओर आ रहे ऐसे ही एक पिंड का अवलोकन कर रहे थे, जिसके बारे में आशंका जताई जा रही थी कि वह सन 2023 में पृथ्वी से टकराएगा।
अचानक इस पिंड ने रहस्यमय तरीके से अपना रास्ता बदल दिया। इस घटना ने खगोलविदों को भी हैरान कर दिया। 2022 एई1 नाम का यह क्षुद्रग्रह 4 जुलाई 2023 को पृथ्वी से टकराने वाला था। खगोलविदों ने अनुमान लगाया था कि इस क्षुद्रग्रह के टकराव से स्थानीय इलाके को नुकसान होगा। यूरोपीय स्पेस एजेंसी का कहना है कि यह क्षुद्रग्रह इतनी तेजी से पृथ्वी की ओर आ रहा था कि इसे मोड़ने का समय ही नहीं था। इसके पहले सात दिनों के अवलोकनों के बाद इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना बढ़ गई थी। जब चंद्रमा दूर हआ तो टेलीस्कोप इसे फिर से देख सके तब कहीं जाकर उसके पृथ्वी से नहीं टकराने की गिरती संभावना का पता लगाया जा सका।
यह क्षुद्रग्रह इस साल 6 जनवरी को पहचाना गया था। इसके एक ही दिन बाद एस्ट्रॉयड ऑर्बिट डिटर्मिनेशन ऑटोमेटेड सिस्टम के द्वारा सक्षम भावी टकराव की श्रेणी में डाल दिया गया था। यह सिस्टम क्षुद्रग्रह के अवलोकन आंकड़ों के आधार पर कक्षा की स्वतः ही गणना कर लेता है। ये आंकड़े पूरी दुनिया की वेधशालाओं और टेलीस्कोप से मिलते हैं। पृथ्वी के पास से गुजरने वाले पिंडों के टकराव के जोखिमों की श्रेणी और प्राथमिकताओं को तय करने लिए खगोलविद पेलेर्मो स्केल का उपयोग करते हैं।
ईसाके खगोलविद मार्को मिशेली ने बताया जनवरी में शोधकर्ताओं को इस पैलेर्मो स्केल पर सबसे उच्च श्रेणी वाले इस क्षुद्रग्रह का पता चला। एक दशक में इससे ज्यादा जोखिम वाला पिंड नहीं देखा गया है। अंतरिक्ष में पृथ्वी के पास से गुजरने वाले पिंडों पर खास तौर पर निगरानी की जाती है। यह काम यूरोपीय स्पेस एजेंसी के अलावा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी करता है। बारीकी से नजर रखने के बाद भी यह साफ कहा जाता है कि जरूरी नहीं कि कोई भी पिंड निगरानी से नहीं बचेगा। कई बार बहुत छोटे पिंड भी पृथ्वी के पास आने पर ही दिखाई देते हैं।
खगोवलविदों का कहना है कि आकार में 70 मीटर बड़े 2022 एई1 का रास्ता अनिश्चित होने पर भी इस पर पूरी निगरानी जारी रखी गई। अब उनका अनुमान है कि 2022 एई1 क्षुद्रग्रह अब पृथ्वी से एक करोड़ किलोमीटर पास से होकर गुजरेगा। यह दूरी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 20 गुना ज्यादा दूरी है। ऐसा नहीं है कि पृथ्वी से क्षुद्रग्रह टकराते नहीं है। लेकिन वे इतने छोटे होते हैं कि वायुमंडल से टकराते ही जल जाते हैं। बहुत ही कम ऐसे होते हैं जो पृथ्वी की सतह तक पहुंचने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा पिंड कितना भारी और चौड़ा है यह भी मायने रखता है। क्योंकि वायुमंडल से गुजरते हुए वे जलकर खत्म होने लगते हैं।