नई दिल्ली : भारत के सर्वोच्च व्यापार संगठनों में शुमार एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने 'आत्मनिर्भर भारत - वोकल फॉर लोकल - आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते कदम' विषय पर आईटीसी सनफीस्ट के साथ मिलकर विजडम सिरीज लेक्चर के दूसरे संस्करण का आयोजन किया। इस दौरान वक्ताओं के विशेषज्ञ पैनल से चर्चा के लिए आमंत्रित स्वामी रामदेव जी ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में मदद के लिए भारतीयों से सक्रियता से भारतीय ब्रांड अपनाने का आह्वान किया।
वेबिनार के दौरान स्वामी रामदेव और उद्योग जगत के प्रतिष्ठित लोगों ने आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य पाने के लिए स्थानीय एमएसएमई और उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
अयोध्या में राम जन्मभूमि पूजा के मौके पर आध्यात्मिक नेता और पतंजलि के सीईओ स्वामी रामदेव ने स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की दिशा में अपने अनुभव भी साझा किए।
लोकल के लिए वोकल होने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने करीब 35 साल पहले कुछ हाई टेक्नोलॉजी वाले तकनीकी उपकरणों के अतिरिक्त पूरी तरह स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का फैसला किया था। ऐसे सामान जिनमें कोई टेक्नोलॉजी नहीं होती है, उनमें मैंने कभी विदेशी ब्रांड नहीं लिया। उपभोक्ताओं को भी मन में ऐसे विचार बनाने चाहिए और सोचना चाहिए कि उन्हें देश के लिए जीना है। यह लंबा सफर है और एक दिन में नहीं हो सकता है।' उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि भारतीयों को केवल घरेलू ब्रांड को अपनाना ही नहीं चाहिए, बल्कि इसे अपने पारिवारिक मूल्यों का हिस्सा बनाना चाहिए और पीढ़ी दर पीढ़ी इसे आगे बढ़ाना चाहिए।
सबसे पहले लोकल ब्रांड को चुनने और बढ़ाने वाला भारत बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य के अनुरूप 'वोकल फॉर लोकल' में ब्रांड इंडिया को मजबूत करने और स्वदेशी कंपनियों, उनके उत्पादों व सप्लाई चेन को मजबूत करने तथा भारत को मैन्यूफैक्चरिंग का हब बनाने की दिशा में बहुत अवसर छिपे हैं।
स्वामी रामदेव ने आगे बताया कि कैसे अपना देश आत्मनिर्भर भारत के लिए अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में संरचनात्मक तरीके से काम कर सकता है। उन्होंने कहा, 'भारत को एक वैश्विक मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने के लिए सही माहौल देने की जरूरत है। लोगों को किसी भी रूप में कर चोरी में नहीं फंसना चाहिए या इंस्पेक्टर राज या राजनीति का शिकार नहीं होना चाहिए। सरकार को कारोबारियों को अपराधियों की तरह नहीं देखना चाहिए। नीति निर्माताओं को ईमानदार करदाताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए और ईमानदारी से कमाई की अनुमति देनी चाहिए। नीति निर्माताओं को ईमानदारी से कमाई को प्रोत्साहित करना चाहिए।'
भारतीय ब्रांड एवं छोटे उद्यमों की क्षमता पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, 'हमें ईमानदारी, वैज्ञानिक शोध के साथ ब्रांड विकसित करने की तैयारी करनी चाहिए, सप्लाई चेन, डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम और बेहतर टीमवर्क पर फोकस करना चाहिए। अच्छी टीम बनाना और उनमें ईमानदारी का भाव जगाना महत्वपूर्ण है। उनमें समर्पण और दृढ़ता होनी चाहिए। किसी संस्थान को तैयार करते समय इसमें इन मूल्यों का होना जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियां उन मूल्यों को मजबूती दे सकें। आइटीसी, टाटाऔर बिड़ला जैसे ब्रांड में हम इन मूल्यों की झलक देख सकते हैं।'
इसके बाद उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला की कैसे वोकल फॉर लोकल अभियान के मौजूदा दौर में छोटे कारोबारी एवं उद्यमी लाभ ले सकते हैं और कैसे इसका इस्तेमाल एक ब्रांड तैयार करने में कर सकते हैं। उन्होंने कहा, 'पहले किसी विषय को पूरी तरह और ईमानदारी से सीखें। तब आप एक ब्रांड तैयार करने में सक्षम हो सकेंगे और ऐसा हमेशा 10-20 साल के लक्ष्य के साथ करें। इस तरह के आप एक भरोसमंद ब्रांड बना सकेंगे। मैं चाहता हूं कि पतंजलि जैसे 50-100 ब्रांड होने चाहिए।'
उन्होंने यह भी कहा कि जीवन में सफलता चाहने वाले के लिए जरूरी है कि व्यक्ति पहले आत्मविश्वासी बने, तभी उनका कारोबार आत्मनिर्भर बन सकता है। उन्होंने कहा, 'आत्मविश्वासी बनने के लिए जरूरी है कि रोजाना 10 से 20 मिनट का समय योग, ध्यान और अन्य शारीरिक व्यायाम में लगाना चाहिए। पसीना बहाएं। जो व्यक्ति जल्दी जागता है, अपने शरीर पर नियंत्रण रखता है और पसीना बहाता है, उसे काम पर खून बहाने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसा करने से तनाव, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और परेशानियां दूर रहती हैं। जब आप आत्मविश्वासी बन जाते हैं, तब आपके काम में आत्मनिर्भरता आती है और आप राष्ट्र निर्माण में योगदान दे पाते हैं।'
बड़े कॉरपोरेट के कब्जे वाले बाजार में सफल होने के लिए पतंजलि और स्वामी रामदेव के प्रयासों का उदाहरण देते हुए एसोचैम के प्रेसिडेंट डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि इससे छोटे कारोबारी अपने ब्रांड को स्थापित करने और उसे राष्ट्रीय स्तर तक विस्तार देने की प्रेरणा ले सकते हैं।
एसोचैम एफएमसीजी ब्रांड प्रमोशन एंड प्रोटेक्शन काउंसिल के चेयरमैन श्री अनिल राजपूत ने कहा, 'प्राचीन समय में भारत में विश्व की आर्थिक शक्ति माना जाता था और वैश्विक जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 25 प्रतिशत थी। जब ब्रिटिश भारत से गए तब भारत की हिस्सेदारी वैश्विक जीडीपी में महज 4 प्रतिशत रह गई थी। इसके बाद वैश्वीकरण की बयार चली, जिसने ज्यादातर देशों के मुकाबले में कुछ देशों को ज्यादा फायदा पहुंचाया। 2020 में हम कोविड महामारी के कारण बदला हुआ वैश्विक परिदृश्य देख रहे हैं, जहां देशों को आर्थिक विकास की रणनीति की समीक्षा करनी पड़ रही है। भारत में हमारे प्रधानमंत्री ने लोकल के लिए वोकल होने पर जोर देते हुए आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य रखा है। इस समस सभी संबंधित लोगों को यह सपना साकार करने के लिए एकजुट होने की जरूरत है।'
एसोचैम के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट श्री विनीत अग्रवाल ने कहा, 'आत्मनिर्भर होने के लिए हमें आत्मविश्वास की भी जरूरत है, खासकर कोविड-19 के कारण बने इस हालात में, जिसके कारण से लोगों की निजी एवं कारोबारी जिंदगी तनाव में है।'
आत्मनिर्भर भारत की जरूरत पर जोर देते हुए एसोचैम के महासचिव श्री दीपक सूद ने बताया कि ऐसे देश का क्या अर्थ है। आत्मनिर्भर भारत एक सक्षम भारत होगा और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी होगा तथा एक ऐसी स्थिति में होगा, जहां दुनिया में हर कोई हमसे जुड़ना चाहेगा।