मुम्बई । भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा है कि भारतीय टीम के डाइट प्लान (आहार योजना) को तैयार करने में बोर्ड की कोई भूमिका नहीं है और खिलाड़ियों को अपनी पसंद का खाना खाने की पूरी आजादी है। बीसीसीआई ने यह बात कानपुर टेस्ट के लिए टीम की नई आहार योजना पर उठे विवाद पर कही है।
इससे पहले कहा जा रहा था कि न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में बोर्ड ने अपनी नई आहार योजना के तहत सूअर का मांस या बीफ न खाने की सलाह दी है। साथ ही कहा था कि खिलाड़ी हलाल मीट का ही सेवन करते हैं। इसने सोशल मीडिया पर बवाल हो गया था और प्रशंसकों ने खिलाड़ियों के खाने के विकल्प को तय करने के लिए बीसीसीआई की आलोचना की थी। इसके साथ ही कुछ प्रशंसकों ने हलाल मांस को बढ़ावा देने के लिए बोर्ड की कड़ी आलोचना भी की थी।
वहीं इस हंगामे के बाद अब धूमल ने कहा, इस प्रकार की आहार योजना पर कभी कोई बात नहीं हुई और न ही इसे लागू किया जाएगा। मुझे नहीं पता कि यह फैसला कब लिया गया था या नहीं जहां तक मेरी जानकारी है, हमने कभी भी आहार योजना से जुड़ी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की थी। जहां तक खाने की बात है तो यह खिलाड़ियों की व्यक्तिगत पसंद है, इसमें बीसीसीआई की कोई भूमिका नहीं है।
उन्होंने साथ ही कहा कि ‘हलाल’ की यह बात किसी समय किसी खिलाड़ी के फीडबैक के आधार पर हुई होगी। जैसे यदि कोई खिलाड़ी कहता है कि वह बीफ नहीं खाता है और यदि कोई विदेशी टीम आती है तो मांग उठती है कि भोजन को नहीं मिलाना चाहिए। इस हलाल मुद्दे को कभी भी बीसीसीआई के ध्यान में नहीं लाया गया। बीसीसीआई अपने किसी भी खिलाड़ी को यह सलाह नहीं देता है कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। खिलाड़ी अपना भोजन स्वयं चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। वे शाकाहारी बनना चाहते हैं, यह उनकी पसंद है, वे वीगन बनना चाहते हैं, यह उनकी पसंद है, वे मांसाहारी बनना चाहते हैं, यह उनकी पसंद है। आहार योजना साझा करना कोई नई बात नहीं है। मैच से पहले टीमें अक्सर ऐसा करती हैं।