वॉशिंगटन । रूस-यूक्रेन में जारी तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस के 27 डिप्लोमेट्स को देश छोड़ने का आदेश दिया है। वॉशिंगटन से यह आदेश जारी करने के अलावा बाइडन प्रशासन ने यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं करने की रूसी मांग भी खारिज कर दी है।
जो बाइडन ने यूक्रेन पर हमले की स्थिति में रूस को कड़े परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। बाइडन ने कहा अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तो वे रूस की 85 हजार करोड़ रुपए की ‘नॉर्ड स्ट्रीम 2’ गैस पाइपलाइन को रोक देंगे। रूस की इस पाइपलाइन से यूरोप को प्राकृतिक गैस सप्लाई करने की योजना है।
खास बात यह है कि अब तक नाटो से छिटकने की अटकलें झेल रहे जर्मनी ने भी अमेरिका का समर्थन किया है। उधर, रूस और यूक्रेन ने दोनों देशों की सीमा पर सीजफायर के लिए पेरिस वार्ता जारी रखने की घोषणा की है। रूस और यूक्रेन के बीच काफी समय से विवाद चला आ रहा है। 24 अगस्त 1991 को सोवियत संघ से यूक्रेन अलग हुआ था। सोवियत संघ से अलग होने के बाद यूक्रेन को पश्चिमी देशों का सहारा मिला।
1949 में नाटो की स्थापना की गई थी, जिसका मकसद था कि इसके आसपास के देश सोवियत संघ से अपने आप को डिफेंड कर पाएं। 2014 में यूक्रेन में जो सरकार थी, वह काफी हद तक रूस की समर्थक थी। इसके चलते यूक्रेन ने नाटो में शामिल होने का निर्णय नहीं लिया। हालांकि, अभी फिर से नाटो में शामिल होने की हलचल तेज हो गई है।
यूक्रेन के दो भाग है, वेस्टर्न यूक्रेन और ईस्टर्न यूक्रेन। ईस्टर्न यूक्रेन में बड़ी संख्या मात्रा में रूस के समर्थक हैं। जानकारों का मानना है कि फिलहाल स्थिति यह है कि अमेरिका ने कह दिया है कि वह सीधे तौर पर युद्ध नहीं करेगा, लेकिन रूस पर आर्थिक प्रतिबंध का रास्ता अपनाया जा सकता है। हालांकि, अगर अमेरिका यूक्रेन को बड़ी सैन्य सहायता देता है या फिर रूस पर कोई बड़ा प्रतिबंध लगाया जाता है तो इससे विवाद की स्थिति पैदा हो सकती है।