रायपुर। बस्तर के झीरम घाटी कांड में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को तगड़ा झटका लगा है। अब झीरम कांड की जांच राज्य की एजेंसी कर सकेगी। बिलासपुर हाईकोर्ट ने झीरम घाटी कांड में राज्य की एजेंसी से जांच करवाने के विरुद्ध एनआईए की याचिका खारिज कर दी है।
इसका कांग्रेस ने स्वागत करते हुए कहा है कि झीरम का सच सामने आयेगा। विदित है कि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान 25 मई 2013 को जगदलपुर के करीबी इलाके दरभा की झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व मंत्री तथा पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा सहित 29 लोग शहीद हुए थे।
इनमें सुरक्षा बल के जवान भी शामिल थे। कांग्रेस के लगभग बीस नेताओं की शहादत हुई थी। घटनाक्रम के अनुसार रैली समाप्त होने के बाद कांग्रेस का काफिला सुकमा से जगदलपुर आ रहा था। केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने इस मामले की जांच एनआईए को सौंपी थी। जिसने जांच के बाद चालान पेश किया था। इस घटना में शहीद हुए कांग्रेस नेता उदय मुदलियार के पुत्र जितेंद्र मुदलियार ने जांच से असंतुष्ट होकर वर्ष 2020 में दरभा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसके विरुद्ध एनआईए ने पहले विशेष न्यायाधीश के यहां याचिका दायर की थी। उस याचिका को खारिज कर दिया गया था।
कांग्रेस ने कहा है कि माननीय हाइकोर्ट के फैसले के बाद झीरम हत्याकांड का षड्यंत्र सामने आने का मार्ग प्रशस्त होगा।कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद झीरम का सच सामने लाने तथा दोषियों को सजा दिलवाने के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। भारतीय जनता पार्टी एसआईटी के गठन के बाद से ही घबरा गई थी। उसने झीरम की जांच रोकने के लिए तमाम षड्यंत्र किया। भाजपा की केंद्र सरकार एनआईए से झीरम की फाइल एसआईटी को नहीं देने दे रही थी। माननीय उच्च न्यायालय के फैसले के बाद झीरम के पीड़ित परिवारों में भी न्याय की आस जगी है।
कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की जब तक प्रदेश में सरकार थी, वह झीरम की जांच को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती थी। झीरम की जांच के लिए जो न्यायिक आयोग बना उसके जांच के दायरे में घटना के पीछे के षड्यंत्र को शामिल नहीं किया गया था। पीड़ित परिवार के लोग सीबीआई जांच चाहते थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह उसमें भी बाधक बने हुए थे।विधान सभा में घोषणा के बाद भी जांच की अनुशंसा नहीं की।
कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि झीरम की एसआईटी जांच भाजपा और उसकी केंद्र सरकार क्यों रोकना चाहती है? यह बड़ा सवाल है जिसका जबाब भाजपा से प्रदेश की जनता जानना चाहती है।