इंदौर:देश में कंसल्टिंग इंजीनियरों की शीर्ष संस्था कंसल्टिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीईएआई) ने सरकार से अनुरोध किया हैकि कोरोना के बाद की स्थिति देखते हुए और आत्म निर्भर भारत की दिशा में पहला कदम उठाते हुए देश मे निविदा और खरीद कीदशकों पुरानी एल1 प्रणाली पर पुनर्विचार किया जाए और उसे खत्म किया जाए। एल1 में सबसे कम लागत के आधार पर चयन कियाजाता है। लंबे अरसे से चली आ रही इस प्रक्रिया के तहत ठेकेदारों, सलाहकारों का काम चुनते समय और वस्तुओं की खरीद के लिए पैमानायह रहता है कि सबसे कम बोली किसने लगाई है। इसका नतीजा अक्सर यह होता है कि काम और खरीदा गया माल घटिया निकलता है।इसके कारण चयन की प्रक्रिया को फौरन बदलने और “वाजिब दरों” पर खरीद प्रणाली की दिशा में बढ़ने की जरूरत हो गई है।सीईएआई की बुनियादी ढांचा समिति के चेयरमैन और इस पहल के मार्गदर्शक श्री के के कपिला ने कहा, “बदली हुई खरीद प्रणाली में पारदर्शीतरीके से कारगर दरें हासिल करने के कई विकल्प हैं और इससे योग्य एवं सक्षम फर्मों को परियोजनाओं के लिए वाजिब दरों पर योजना तैयारकरने और बोली लगाने का मौका मिलेगा। इस तरह परियोजनाओं का प्रबंधन और क्रियान्वयन बेहतर होगा, जिसका असर उनकी गुणवत्ता और उनमें लगने वाले समय पर भी दिखेगा। एल1 प्रणाली में देर होती है और लागत भी बढ़ जाती है, जिससे व्यर्थ विवाद होता है और अधिक खर्च होता है।”उन्होंने कहा, “एल1 प्रणाली से दूसरी प्रणाली पर जाना देश के लिए बहुत जरूरी है। हम एल1 के जरिये बुलेटप्रूफ जैकेट कैसे खरीद सकते हैं? हम पीपीई किट को एल1 के जरिये कैसे खरीद पाएंगे? हमें मोर्चे पर खड़े अपने जवानों को बचाना है या उन्हें केवल इसलिए शहीद होने देना है क्योंकि हम व्यवस्था में जरूरी बदलाव नहीं कर रहे। हमें आत्मनिर्भर भारत का मिशन पूरा करना है तो इस जरूरी बदलाव की फौरी जरूरत को समझना होगा और इस दिशा में काम करना होगा।”सीईएआई के अध्यक्ष अमिताभ घोषाल ने कहा, “यह बदलाव तभी आएगा, जब आम जनतो यह समझ आ जाएगा कि “सबसे कम लागत” पर जोर देने केकारण ही हम विश्व स्तर का बुनियादी ढांचा तैयार नहीं कर पाए हैं या अच्छा सामान एवं सेवाएं हासिल नहीं कर पाए हैं।”उन्होंने कहा कि देश कोसार्वजनिक खरीद की ऐसी प्रणाली की जरूरत है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की सभी गतिविधियों में गुणवत्ता एवं लागत पर जोर दिया जाए। साथही इस समय विदेशी कंपनियों को भी बहुत कम बोली लगाने से रोकने पर विचार किया जाए ताकि वे भारतीय कंपनियों को स्पर्द्धा करने से तथाअवसर हासिल करने से रोक नहीं सकें।श्री घोषाल ने कहा, “इंटरनेशल फेडरेशन ऑफ कंसल्टिंग इंजीनियर्स (फिडिक) को विभिन्न प्रकार के कामों के लिए ठेकेदारों, सलाहइकारों तथा
माल आपूर्तिकर्ताओं के चयन में इस्तेमाल होने वाली प्रक्रियाओं में बहुत दिलचस्पी है क्योंकि ठेकों का नतीजा और उनका पूरा होना डिजाइन,
इस्तेमाल किए गए माल की गुणवत्ता और इंजीनियरों की निगरानी पर ही निर्भर करता है। फिडिक ठेकेदारों और सलाहकारों के चयन की
उचित प्रणाली की वकालत करता आया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि क्लाइंट को अपने निवेश की पूरी कीमत मिले और परियोजनाएं
गुणवत्ता के साथ समय से पूरी हों।”
श्री कपिला ने कहा, “अब इस पुरानी प्रणाली को विदा करने और बदलाव की जरूरत समझने का वक्त आ गया है क्योंकि “आत्मनिर्भर
भारत” की दिशा में बढ़ने के लिए ये बदलाव जरूरी हैं।”