पेइचिंग । चीनी अधिकारियों ने एक 99 फुट ऊंची बुद्ध प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया और बौद्ध भिक्षुओं को इसे देखने के लिए मजबूर किया। एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक मूर्ति को लेकर कुछ आधिकारिक शिकायतें आई थीं जिसमें कहा गया था यह बहुत ऊंची है। लिहाजा अधिकारियों ने ड्रैगो काउंटी स्थित प्रतिमा को नष्ट कर दिया। इसे तोड़ने में 9 दिनों का समय लगा जो 12 दिसंबर से शुरू हुए थे। रेडियो फ्री एशिया ने सैटेलाइट तस्वीरों से इस ध्वस्तीकरण की पुष्टि की है।
यह मूर्ति एक बड़े सफेद छाते के नीचे खड़ी थी जहां पर अब सिर्फ मलबे का ढेर मौजूद है। भारत में रहने वाले एक तिब्बती ने कहा यह बिल्कुल 1966-76 की सांस्कृतिक क्रांति जैसा है जब चीनी सरकार ने तिब्बत में हर पुरानी चीज को नष्ट कर दिया था। हालांकि यह मूर्ति अपेक्षाकृत नई थी और इसका विनाश हाल के सालों में चीनी शासन की बढ़ती क्रूरता की ओर इशारा करता है।
विदेशी और रक्षा मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने चीन की इस कार्रवाई की तुलना तालिबान से की है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि चीन तालिबान के नक्शेकदम पर चल रहा है। तालिबान के बामियान बुद्धों के विनाश के बाद चीनी अधिकारियों ने सिचुआन के एक तिब्बती क्षेत्र में भगवान बुद्ध की 99 फुट की प्रतिष्ठित मूर्ति को ध्वस्त कर दिया और तिब्बती भिक्षुओं को यह विनाश देखने के लिए मजबूर किया।
रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अधिकारियों ने थोसेम गत्सेल मठ के भिक्षुओं और चुवार और आसपास के अन्य शहरों में रहने वाले तिब्बतियों को यह विध्वंस देखने के लिए मजबूर किया। तालिबान ने अमेरिकी हमले से पहले अपने पहले शासनकाल के दौरान अफगानिस्तान में अनगिनत धार्मिक मूर्तियों को तोड़ दिया था। तालिबान का सबसे प्रमुख टारगेट बामियान में बुद्ध की दो विशाल मूर्तियां थीं जिन्हें छठी शताब्दी में बनाया गया था।
अफगानिस्तान के बामियान में भगवान बुद्ध की मूर्तियों पर लगातार तालिबान का कहर बरस रहा है। इससे तालिबान का असली चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान लगातार 'उदार' बनने का ढोंग कर रहा है लेकिन सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो में उसकी पोल खुल गई है। वीडियो में तालिबानी लड़ाकों को बामियान की मूर्तियों पर गोलियां बरसाते हुए देखा जा सकता है। वीडियो के साथ लिखा है कि 20 साल पहले तालिबान ने इन मूर्तियों को उड़ा दिया था।