नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि देश में कोरोना से होने वाली मृत्यु दर में कमी आई है। यह 3.3 फीसदी से घटकर 2.87 फीसदी रह गई है। साथ ही मरीजों के स्वस्थ होने की दर में भी लगातार सुधार हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मंगलवार कहा कि अप्रैल में कोरोना की मृत्यु दर 3.3 थी जो मई के आरंभ में 3.43 तक पहुंच गई थी, लेकिन अब यह कम होकर 2.87 रह गई है। यह वैश्विक औसत 6.4 से काफी कम है। तथा कई देशों में यह दर बेहद ऊंची 19 फीसदी तक भी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि समय पर रोगियों की पहचान एवं उपचार से ही यह संभव हुआ है।
अग्रवाल ने कहा कि भारत में प्रति लाख की आबादी पर मृत्यु दर 0.3 प्रतिशत है, जबकि वैश्विक रूप से प्रति लाख आबादी पर मृत्यु दर 4.5 है। इस तरह भारत में मृत्यु दर सबसे कम है। यह लॉकडाउन, समय पर रोग की पहचान और कोविड-19 के बेहतर चिकित्सीय प्रबंधन की वजह से है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि बेल्जियम में प्रति लाख की आबादी पर 81.2 मौत, स्पेन में 61.5 और ब्रिटेन में प्रति लाख की आबादी पर 55.3 मौत का आंकड़ा है।
इटली, फ्रांस, स्वीडन, अमेरिका, कनाडा, ब्राजील और जर्मनी में प्रति लाख की आबादी पर क्रमश: 54.3, 42.3, 39.3, 29.3, 17.2, 10.5 और 10.0 मौतों का आंकड़ा है। अग्रवाल ने कहा कि बेल्जियम में जहां प्रति 10 लाख की आबादी पर 800.72 मौतों का आंकड़ा है, वहीं स्पेन, इटली, ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका और रूस में प्रति 10 लाख की आबादी पर क्रमश: 614.95, 542.24, 541.98, 434.59, 295.22 और 24.96 मौतों का आंकड़ा है। उन्होंने कहा, ''भारत में प्रति 10 लाख की आबादी पर केवल 3.08 मौतों का आंकड़ा है। अपेक्षाकृत यही आंकड़ा जारी है और ग्राफ में कोई वृद्धि नहीं है।"
अग्रवाल ने कहा कि लॉकडाउन से पहले देश में कोरोना मरीजों के स्वस्थ होनी की दर 7.1 थी जो अब 41.61 फीसदी हो गई है। बता दें कि अब तक देश में 60491 कोरोना मरीज स्वस्थ हुए हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों से भारत में रोगियों के स्वस्थ होने की दर बेहतर है। उन्होंने आंकड़ा का हवाला दिया कि दुनिया में प्रति लाख आबादी पर 4.5 मौतें हुई हैं। जबकि भारत में यह 0.3 है। अमेरिका में 81.2, स्पेन में 61.5, ब्रिटेन में 55.3 तथा फ्रांस में 42.3 है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि देश में स्वास्थ कार्यकर्ताओं को क्लोरोक्वीन बचाव की दवा के रूप में प्रदान की जा रही है। इसके लिए आवश्यक प्रोटोकाल तैयार किया गया है। अध्ययन में यह देखा गया है कि इसके स्वास्थ्य पर कोई खास दुष्प्रभाव नहीं हैं, जबकि कोरोना के बचाव में फायदा दिख रहा है। इसलिए तय नियमों के तहत इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। भार्गव ने राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि वे निजी प्रयोगशालाओं में टेस्ट के शुल्क में कमी के लिए कहीं। अभी 4500 रुपये की अधिकतम सीमा निर्धारित की गई है। लेकिन अब आरटीपीसीआर किट देश में बनने लगी है, इसलिए टेस्ट की लागत घट रही है। राज्यों को कहा गया है कि वे कम दाम तय करें।