लंदन । ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना वायरस से बचाव में फाइजर के टीके की दूसरी खुराक लेने के चार माह बाद यह टीका संक्रमण से बचाने में कोई खास मददगार नहीं है। इसमें सुरक्षा का प्रतिशत 96 से घटकर 84 प्रतिशत पाया गया। हालांकि यह अनुसंधान का शुरुआती चरण है और इसके निष्कर्षों की वैज्ञानिकों द्वारा ठीक से समीक्षा की जानी बाकी है।
इसी प्रकार से
इजराइल से प्राप्त
आंकडे़ दिखाते हैं कि
60 वर्ष से अधिक
आयु वर्ग के
ऐसे लोग जिन्हें
मार्च 2021 में फाइजर
के टीके की
दूसरी खुराक दी
जा चुकी है
,वे संक्रमण की
चपेट में आने
से उन लोगों
की तुलना में
1.6 गुना अधिक सुरक्षित
हैं, जिन्हें इनसे
दो माह पहले
टीके की दूसरी
खुराक दी गई
थी। हालांकि ये
आंकडे़ भी स्पष्ट
नहीं हैं खासतौर
पर यदि इन्हें
विभिन्न आयु वर्गों
के संदर्भ में
देखा जाए तो।
मॉडर्ना के टीकों के आंकड़े बताते हैं कि क्रियाशील एंटीबॉडीज (वायरस को कोशिकाओं में फैलने से रोकने में सहायक) टीकाकरण के बाद अधिकतर लोगों में छह माह तक रहती हैं। लेकिन अध्ययन में पाया गया कि वायरस के बीटा स्वरूप के मामले में इनके प्रभावी होने का स्तर कम हुआ है। साथ ही इस अध्ययन में अधिक संक्रामक डेल्टा स्वरूप और टीकों का आकलन भी नहीं किया गया। वहीं, डेल्टा स्वरूप से बचाने में टीके के प्रभावी होने के संबंध में एक अन्य अध्ययन किया गया और उसमें पाया गया कि ऑक्सफोर्ड का एस्ट्राजेनेका तथा फाइजर दोनों ही टीके संक्रमण के इस स्वरूप से बचाव में कोई खास मददगार नहीं हैं।
कुछ इसी प्रकार
का निष्कर्ष अमेरिका
के रोग नियंत्रण
एवं रोकथाम केन्द्र
ने भी निकाला
था। एक अच्छा
टीका पूरी तरह
से संक्रमण से
सुरक्षित रखता है
और इस प्रकार
से लोगों को
संक्रमित होने और
आगे संक्रमण फैलाने
से रोकता है।
महामारी की शुरुआत
में ऐसी खबरें
आई थीं कि
लोग दोबारा भी
संक्रमित हो रहे
हैं और एंटीबॉडीज
की संख्या भी
कम हुई है।
शुरुआत में माना
जा रहा था
कि एंटीबॉडीज की
अधिक मात्रा संक्रमण
से सुरक्षित रखने
के लिए जरूरी
हैं। इस बात
को लेकर संदेह
रहा है कि
ऐसा टीका बनाना
जो संक्रमण को
पूरी तरह से
रोक दे, संभव
नहीं है। देखा
जाए तो एंटीबॉडीज
प्रभावी प्रतिरोधी प्रतिक्रिया का
एक संकेतक मात्र
है। हमें ‘टी’
लिम्फोसाइट्स भी चाहिए
जो वायरस को
मारते हैं।
साथ ही ऐसी प्रतिरोधी यादाश्त भी चाहिए जो शीघ्रता के साथ इन टी कोशिकाओं और एंटीबॉडी बनाने वाली ‘बी’ कोशिकाओं का निर्माण करने में मदद करे। टीकाकरण के कई महीनों बाद भी गंभीर बीमारी से बचने की संभावना काफी अधिक होने के बावजूद, कई सरकारों ने टीका बूस्टर कार्यक्रम शुरू करने का विकल्प चुना है। ब्रिटेन और अन्य सरकारों द्वारा शुरू की जा रही तीसरी खुराक क्या सबसे कमजोर लोगों में दीर्घकालिक और उससे भी अधिक सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त होगी?
सच्चाई तो यह
है कि हम
अभी इसके बारे
में कुछ नहीं
जानते। हमें यह
याद रखना चाहिए
कि टीकाकरण केवल
एक तरीका है
जिससे हम खुद
को संक्रमण से
बचा सकते हैं,
इसके अलावा अन्य
उपाय, जैसे कि
मास्क पहनना आदि
भी जरूरी है।
बूस्टर खुराक के साथ
ही ब्रिटेन की
सरकार घर के
कामकाज फिर से
शुरू करने के
साथ ही सर्दियों
में लोगों को
मास्क पहनने के
लिए प्रेरित करने
की योजना बना
रही है। बता
दें कि ब्रिटेन
सहित कई देश
वक्त के साथ
कोरोना वायरस संक्रमण रोधी
टीकों के कम
प्रभावी होने संबंधी
खबरों के बीच
टीके की तीसरी
खुराक देने की
बात कर रहे
हैं।