नई दिल्ली । पेट्रोल-डीजल के दामों की आसमान छूती कीमतों के बीच तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक की एक रिपोर्ट से पेट्रोलियम बाजार को राहत मिली है। दरअसल, कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट की वजह से पेट्रोलियम पदार्थों की मांग प्री-कोविड स्तर पर नहीं लौट पाई है। लेकिन बीते सोमवार को आई ओपेक की एक रिपोर्ट बताती है कि अगले वर्ष तक स्ट्रांग रिकवरी होगी। तब तक हर दिन कच्चे तेल की मांग 100.8 मिलियन बैरल प्रति दिन हो सकती है। इससे कच्चे तेल के बाजार को सोमवार को बल मिला और इसमें तेजी देखी गई। लेकिन, भारत में देखें तो यहां सरकारी तेल कंपनियों ने आज लगातार नौवें दिन भी पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई फेरबदल नहीं की। इससे पहले शिक्षक दिवस के दिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 15-15 पैसे की कमी हुई थी। दिल्ली के बाजार में मंगलवार को इंडियन ऑयल के पंप पर पेट्रोल प्रति लीटर 101.19 रुपए पर टिका रहा। डीजल का दाम भी 88.62 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर है।
इस साल की पहली तिमाही के दौरान कई राज्यों में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चलने की वजह से बीते मार्च और अप्रैल में पेट्रोल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी। इसलिए, उस दौरान कच्चा तेल महंगा होने के बाद भी पेट्रोल-डीजल के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। लेकिन, बीते चार मई से इसकी कीमतें खूब बढ़ी। कभी लगातार तो कभी ठहर कर, 42 दिनों में ही पेट्रोल 11.52 रुपए प्रति लीटर महंगा हो गया है। हालांकि, हरदीप सिंह पुरी के पेट्रोलियम मंत्री बनने के बाद बीते 18 जुलाई से इसके दाम स्थिर थे। रक्षा बंधन के दिन, इसके दाम में महज 20 पैसे की कमी की गई थी। उसके दो दिन बाद भी 15 पैसे की कमी हुई है। उसके बाद एक सितंबर और पांच सितंबर को इसके दाम फिर 15-15 पैसे घटे।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल भले ही सस्ता बिक रहा हो, लेकिन यहां सरकारी तेल कंपनियां उस हिसाब से कीमतों में कमी नहीं कर रही हैं। वैसे भी डीजल महंगा ईंधन होने के बावजूद भारत में यह पेट्रोल के मुकाबले सस्ता बिकता है। इस साल के शुरूआती महीनों के दौरान कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे। उस दौरान 41 दिनों तक डीजल के दाम में कोई फेरदबल नहीं हुआ था। उस समय डीजल के दाम में अंतिम कमी बीते 15 अप्रैल को हुई थी। उस समय 14 पैसे की कमी हुई थी। लेकिन बीते 4 मई से इसमें जो ठहर-ठहर कर बढ़ोतरी हुई, उससे डीजल 9.08 रुपए प्रति लीटर महंगा हो गया है। उसके बाद बीते 16 जुलाई से इसके दाम में कोई फेरबदल नहीं हुआ था। बीते 18 अगस्त से 20 अगस्त तक इसकी कीमतों 20 पैसे प्रति लीटर की रोजाना कमी हुई है। इसके बाद रक्षा बंधन के दिन भी दाम में इतनी ही कमी हुई थी। उसके दो दिन बाद भी यह 15 पैसे सस्ता हुआ था। बीते एक सितंबर के 15 पैसे और पांच सितंबर के 15 पैसे की कमी को जोड़ लिया जाए तो पिछले एक पखवाड़े में अब तक डीजल 1.25 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो चुका है।
तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक की एक रिपोर्ट से पेट्रोलियम बाजार को राहत मिली है। दरअसल, कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट की वजह से पेट्रोलियम पदार्थों की मांग प्री-कोविड स्तर पर नहीं लौट पाई है। लेकिन बीते सोमवार को आई ओपेक की एक रिपोर्ट बताती है कि अगले वर्ष तक स्ट्रांग रिकवरी होगी। तब तक हर दिन कच्चे तेल की मांग 100.8 मिलियन बैरल प्रति दिन हो सकती है। इससे कच्चे तेल के बाजार को सोमवार को बल मिला और इसमें तेजी देखी गई। सोमवार को अमेरिकी बाजार में ब्रेंट क्रूड 0.59 डॉलर प्रति बैरल चढ़ कर 73.51 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड पर बंद हुआ। डब्ल्यूटीआई क्रूड के दाम भी 0.46 डॉलर की बढ़ोतरी दिखी। कारोबार के समाप्त होते वक्त यह 70.45 डॉलर प्रति बैरल पर सेटल हुआ।