SECL में पदस्थ अफसर को विभाग ने पदोन्नति नहीं दी गई। बल्कि उनकी जगह जूनियर अफसर को प्रमोशन देकर GM बना दिया गया। इस फैसले के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर की थी। कोर्ट ने 11 साल बाद उनके पक्ष में फैसला दिया है। इस बीच उनके रिटायर होने पर उन्हें प्रमोशन सहित अन्य देयकों का लाभ देने का आदेश दिया गया है।
जीके शर्मा ने वकील गैरी मुखोपाध्याय के माध्यम से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया कि वे बिलासपुर SECL गेवरा प्रोजेक्ट में चीफ मैनेजर सिविल के पद पर कार्यरत थे। यह याचिका उन्होंने 2010 में लगाई थी। तब उन्हें जनरल मैनेजर के पद पर पदोन्नति दी जानी थी। लेकिन, योग्य व अनुभवी होने के बाद भी उन्हें विभाग ने प्रमोशन से वंचित कर दिया।
इस पर उन्हें न्याय के लिए हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। याचिका में कोल इंडिया के सर्विस रूल्स के साथ ही सिविल सेवा नियम का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता को पदोन्नति के हकदार बताया गया। साथ ही यह भी तथ्य प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता से जूनियर अफसर को पदोन्नत कर दिया गया है। साल 2010 से यह याचिका हाईकोर्ट में लंबित थी। SECL व याचिकाकर्ता के तर्कों को सुनने के बाद जस्टिस संजय के अग्रवाल ने याचिकाकर्ता के पक्ष में आदेश दिया है। अब चूंकि, याचिकाकर्ता रिटायर हो गए हैं। लिहाजा, उन्हें सभी देयकों के साथ प्रमोशन का लाभ देने का आदेश दिया गया है।