रूस के लिए नाक का सवाल बना डोनबास, ‘विक्ट्री डे परेड’ से पहले इस पर हासिल करना चाहता है फतह

Updated on 20-04-2022 08:06 PM

कीव। रूस और यूक्रेन का युद्ध  56 दिनों से लगातार जारी है। इस युद्ध में रूस ने जितना सोचा था उसे उतनी कामयाबी मिलती नहीं दिख रही है। रूस यूक्रेन की राजधानी कीव पर तो कब्जा नहीं कर पाया, इसके उलट उसे कई स्तर पर नुकसान झेलना पड़ा है। बड़ी संख्या में रूस के सैनिक इस युद्ध में मारे गए हैं। इसके साथ ही उसका बहुमूल्य युद्धपोत मोस्कवा भी डूब गया, जिसके बाद अब व्लादिमीर पुतिन ने पूरी तरह अपना फोकस दोनबास क्षेत्र पर केंद्रित कर लिया है। 
रूस ने दोनबास पर दूसरा बड़ा हमला सोमवार से शुरू कर दिया है। रूस युद्ध की शुरुआत से ही यहां मजबूत स्थिति में है, ऐसे में यूक्रेन को इस क्षेत्र पर फिर से कब्जा करने के लिए बड़ा नुकसान झेलने के लिए तैयार रहना होगा। रूसी सैनिक बेलगोरोड के दक्षिण से यूक्रेन की सेना को पीछे से घेरने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वह मारियुपोल के पास उत्तर की ओर बढ़ने वाले रूसी सैनिकों की मदद कर सकें। यहां यूक्रेन ने रूस को कड़ी टक्कर दी है, जिसके कारण रूसी सैनिक कई हफ्तों से वहीं फंसे हैं। 
दोनबास यूक्रेन का सबसे पूर्वी और गरीब क्षेत्र है। यहां कोएले की खदाने जरूर हैं, लेकिन बंजर भूमि है। ऐसे में आपको यह आश्चर्य जरूर होगा कि भला इस क्षेत्र के लिए रूस इतनी ताकत क्यों झोंक रहा है? रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दावा है कि उनका प्रमुख मकसद दोनबास क्षेत्र को यूक्रेन की नाजी सरकार से बचाना है। यह भी एक सच्चाई है कि युद्ध शुरू होने से पहले व्लादिमीर पुतिन ने स्पष्ट कहा था कि वह पूरा यूक्रेन चाहते हैं। रूस को उम्मीद थी कि 72 घंटों में वह यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा कर लेगा, जिसके बाद बाकी देश अपने आप अस्थिर हो जाएगा। लेकिन रूस का प्लान हमें फेल होता दिखा है। रूस के सैनिकों को यहां से पीछे भी होना पड़ा, जिसके बाद रूस ने अपनी महत्वाकांक्षा कम कर ली है।
यूक्रेन का दोनबास क्षेत्र दो हिस्सों में बंटा है, एक लुहान्स्क और दूसरा डोनेट्स्‍क है। हमले से तीन दिन पहले लुहान्स्क और दोनास्क को रूस ने दो नए देशों के रूप में मान्यता दी थी। इसके बाद यहां के बागियों ने खुद को सरकार घोषित करते हुए पुतिन से मदद मांगी, जिसके बाद रूस ने हमला किया, और पूरी दुनिया को इसे मिलिट्री ऑपरेशन बताया। अब पुतिन दोनबास क्षेत्र के उन हिस्सों को जब्त करने की कोशिश कर रहे हैं जो उसके नियंत्रण में नहीं है। इस क्षेत्र में कब्जे के साथ ही पुतिन 9 मई को ‘विक्ट्री डे परेड’ से पहले रूस के लोगों के सामने इस युद्ध को न्यायोचित दिखाना चाहते हैं। दोनबास क्षेत्र की कुछ ऐसी परिस्थितियां हैं जो रूसी सेना को मदद करेगी। जैसे यहां पहाड़ियां और जंगल कम हैं और ज्यादातर मैदानी क्षेत्र है, जिसके कारण यूक्रेन के सैनिक गुरिल्ला युद्ध नहीं लड़ सकेंगे। यूक्रेन ने गुरिल्ला युद्ध के जरिए ही रूस को काफी नुकसान पहुंचाया है। इसके साथ ही रूस के पास यूक्रेन की तुलना में ज्यादा सैनिक, टैंक, बेहतर फाइटर जेट जैसे उपकरण हैं।


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