नई दिल्ली । महामारी कोरोना के वायरस से बचाव के लिए दुनियाभार में चल रहे वैक्सनेशन अभियान में भारत बायोटेक के कोरोना-रोधी टीके 'कोवैक्सिन' को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मंजूरी इसी सप्ताह मिलने उम्मीद है, सूत्रों ने यह जानकारी दी। दरअसल, वर्तमान में कोवैक्सिन डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची का हिस्सा नहीं है और इसी वजह से भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले कोवैक्सिन टीके को कई देशों द्वारा मान्यता नहीं दी गई है।
ऐसे में इस टीके को मान्यता न मिलने से सबसे ज्यादा नुकसान उन लोगों को उठाना पड़ रहा है, जो अपने काम या किसी और वजह से उन देशों की यात्रा करना चाहते हैं, लेकिन डब्ल्यूएचओ द्वारा कोवैक्सिन को मंजूरी नहीं मिलने से वहां उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा हुआ है। डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के मुताबिक आपात इस्तेमाल सूचीबद्ध (ईयूएल) ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत लोक स्वास्थ्य संकट के समय नए या गैर लाइसेंस प्राप्त उत्पादों के इस्तेमाल की मंजूरी दी जाती है।
हालांकि कोवैक्सिन को आपातकालीन उपयोग सूची में शामिल कराने के लिए आवश्यक सभी दस्तावेज भारत बायोटेक द्वारा डब्ल्यूएचओ को नौ जुलाई तक जमा कर दिए गए थे और एजेंसी द्वारा समीक्षा प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी। ऐसे में जल्द ही कोवैक्सिन को डब्ल्यूएचओ से मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। वर्तमान में डब्ल्यूएचओ ने फाइजर-बायोएनटेक, एस्ट्राजेनेका-एसके बायो-सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, एस्ट्राजेनेका ईयू, जानसेन, मॉडर्ना और सिनोफार्म के टीकों को आपात उपयोग के लिए मंजूरी दी है। गौरतलब है कि कोवैक्सिन भारत का पहला स्वदेशी टीका है। राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ साझेदारी में हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन के आपातकालीन प्रयोग को तीन जनवरी को मंजूरी मिली थी। परीक्षण के परिणामों में बाद में सामने आया कि यह टीका 78 फीसदी तक प्रभावी और कारगर है।