भारतीय क्रिकेट टीम के क्षेत्ररक्षण कोच रहे आर श्रीधर ने कहा है कि भारतीय टीम के साथ जो सात साल का समय उन्होंने बिताया है। वह अब तक का उनके जीवन का सबसे अच्छा समय है। भारतीय टीम के क्षेत्ररक्षण को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले श्रीधर के अनुसार जब टीम कम स्कोर पर आउट होती है तब उसके पास सीखने का अच्छा अवसर होता है। साथ ही कहा कि कोच के रूप में मेरे लिए खराब दिन कोचिंग का शानदार अवसर होता है।
कोचिंग के अवसर से मेरा मतलब खिलाड़ियों को समझने से है। साथ ही कहा कि इस दौरान आवश्यकता पड़ने पर उन्हें तकनीकी और मानसिक रूप से प्रशिक्षित करने का अवसर भी देना रहता है। इससे आपको खिलाड़ी और टीम के बारे में पता चलता है। इस दौरान आपका व्यवहार आपके व्यक्तित्व को दिखाता है।
वहीं उनके समय मुख्य कोच रहे रवि शास्त्री और गेंदबाजी कोच भरत अरुण से मतभेद होते के सवाल पर श्रीधर ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ परिणाम या फैसले के लिए मतभेद होने भी जरुरी होते हैं। भारतीय टीम के क्षेत्ररक्षण कोच रहे इस खिलाड़ी ने कहा कि मेरा मानना है कि सर्वश्रेष्ठ निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए तीने के बीच मतभेद होना भी जरूरी है क्योंकि हम सभी का लक्ष्य टीम को सफल बनाना था।
इसमें कई बार दो लोग सहमत होते है, कई बार ऐसा नहीं होता है। हम मुद्दे के अलग-अलग दृष्टिकोण पर बातचीत के बाद वही निर्णय लेते हैं जो भारतीय क्रिकेट के लिए सबसे उपयुक्त होता है। हमें कभी ऐसा कभी नहीं लगा कि हमारे विचारों को खारिज कर दिया गया है। उन्होंने शास्त्री की तारीफ करते हुए कहा कि उन्हें आप कभी भी खेल से जुड़े सुझाव दे सकते है और वह उसे खारिज नहीं करेंगे। उनमें नेतृत्व गुण और मानव प्रबंधन का शानदार कौशल है। उनमें टीम के हित में बोर्ड से कोई भी बेहतर फैसला करवा लेने की क्षमता है।
उनका कद बहुत बड़ा था और वह खिलाड़ियों की मानसिकता अच्छे से समझते थे। टीम के बड़े खिलाड़ियों से तालमेल बैठाने के बारे में उन्होंने कहा कि मेरे लिए सभी खिलाड़ी एक जैसे हैं। हमारे किसी भी खिलाड़ी में घमंड नहीं है और वे सभी सरल, जमीन से जुड़े इंसान हैं।