नई दिल्ली : गोवा में लंबे समय से चल रही आर्थिक मंदी की स्थिति कोविड महामारी के कारण और गंभीर हो गई है। इस मंदी से राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाला लगभग हर सेक्टर प्रभावित हुआ है। खनन गतिविधियां रुकी हुई हैं और सर्वाधिक कारोबार करने वाला पर्यटन सेक्टर भी पूरी तरह से ठप पड़ा है और पर्यटकों की आवाजाही बंद है। इस कारण से राज्य एवं यहां के लोगों को गंभीर असुविधा एवं वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। विभिन्न एजेंसियों का अनुमान है कि सरकारी राजस्वमें योगदान देने के मामले में दूसरे सबसे बड़े सेक्टर पर्यटन को लॉकडाउन के कारण करीब 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। छह साल के लंबे इंतजार के बाद और जब पर्यटन सेक्टर सबसे ज्यादा दबाव में चल रहा है, तब राज्य सरकार ने 14 अक्टूबर को राज्य पर्यटन नीति को मंजूरी दी है। इस नीति में अगले 25 साल का खाका खींचा गया है, जिसमें 2024 तक सर्वाधिक खर्च करने वाले पर्यटकों को साल के पूरे समय राज्य में पर्यटन के लिए आकर्षित करने का लक्ष्य है। सरकार ने नए पर्यटन बोर्ड के गठन का प्रावधान भी किया है, जो गोवा में पर्यटन से जुड़ी योजना बनाने से लेकर मार्केटिंग व अन्य तमाम नीतिगत फैसलों में भूमिका निभाएगा।
सरकार इस समय राजस्व की डांवाडोल स्थिति को संभालने के लिए पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर है। पिछले साल 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व कमाने वाला राज्य पिछले कुछ महीनों में 70 फीसद तक राजस्व गंवा चुका है।
इन परिस्थितियों को देखते हुए गोवा में जल्द से खनन गतिविधियों को प्रारंभ करना जरूरी है। गोवा चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (जीसीसीआई) के प्रेसिडेंट श्री मनोज काकुलो ने कहा, 'हम माननीय मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत की ओर से राज्य में खनन गतिविधियों को पुन: प्रारंभ कराने की दिशा में सक्रियता से उठाए गए कदमों का स्वागत करते हैं। उन्होंने हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री और केंद्रीय खान मंत्री से इस संबंध में मुलाकात की है। हमें उम्मीद है कि अगली मुलाकात जल्द होगी और गोवा के हितों को देखते हुए खनन गतिविधियां पुन: प्रारंभ कराने की दिशा में उचित निर्णय लिया जाएगा। खनन गतिविधियां पुन: प्रारंभ होने से रॉयल्टी एवं टैक्स के रूप में राज्य को बड़ी राहत मिलेगी, साथ ही कोविड-19 महामारी के इस संकट के दौर में हजारों गोवावासियों को आजीविका का टिकाऊ साधन भी उपलब्ध हो सकेगा।'