नई दिल्ली : गोवा माइनिंग पीपुल्स फ्रंट, बार्ज ऑनर्स एसोसिएशन, ट्रक ऑपरेटर्स एसोसिएशन, ग्राम पंचायत और राज्य में खनन संबंधी आजीविकाओं पर निर्भर 50,000 से ज्यादा लोगों ने गोवा में खनन गतिविधियों को पुनः प्रारंभ कराते हुए आजीविका की रक्षा के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग के साथ माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष 'हस्ताक्षर अभियान' के जरिये अपनी अपील भेजी है। पत्र में गोवा के खनन आश्रितों ने मांग की है कि जीवित रहने के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से खनन पर निर्भर लाखों लोगों की आजीविका को बहाल करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री नीति निर्माताओं को आवश्यक निर्देश दें।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 88 खनन पट्टों के नवीनीकरण को रद करने के फैसले के चलते 15 मार्च, 2018 से राज्य में सभी तरह की खनन गतिविधियां पूरी तरह ठप पड़ गई हैं, जिससे 3 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। माननीय प्रधानमंत्री ने चुनाव अभियान के दौरान खनन पर प्रतिबंध से पड़े गंभीर प्रभावों को संज्ञान में लिया था और गोवा में खनन गतिविधियां पुनः प्रारंभ कराने के लिए आवश्यक कदम उठाने का भरोसा दिया था। इस समय 27 महीने से चल रहे इस ठहराव को तत्काल खत्म करने की बहुत ज्यादा जरूरत है, क्योंकि अप्रत्याशित कोविड-19 महामारी ने गोवा के लोगों की तकलीफ को और बढ़ा दिया है, क्योंकि इसके कारण गोवा में राजस्व एवं रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत पर्यटन अगली 4 से 5 तिमाहियों के लिए थम गया हैकई मोर्चे पर रोजगार खत्म होने के कारण पहले से ही आर्थिक मंदी का सामना कर रहे गोवा के सामने बहुत बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
जीएमपीएफ के प्रेसिडेंट पुती गांवकर ने कहा, “लाखों गोवावासियों की आजीविका की रक्षा की दिशा में सही कदम बढ़ाने के लिए हम गोवा के माननीय राज्यपाल श्री सत्य पाल मलिक और मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत के आभारी हैं। हम माननीय प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि हमारी आजीविका की रक्षा के लिए गवर्नर एवं मुख्यमंत्री की ओर से की गई सिफारिशों का संज्ञान लें50,000 से ज्यादा खनन आश्रितों ने हाल ही में 'हस्ताक्षर अभियान' के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय में अपनी अपील दी है और आगे की कार्रवाई के लिए उसकी एक प्रति गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत को भी सौंपी है। मैं एक बार फिर गोवा के मुख्यमंत्री एवं माननीय राज्यपाल से अनुरोध करता हूं कि इस दिशा में तत्काल कदम उठाएं, क्योंकि आप इस बात से परिचित हैं कि हालात बदतर हए हैं और संकट चरम पर पहुंच गया है। कोविड-19 के कारण उपजी चुनौती के साथ मिलकर खनन गतिविधियों पर लगी रोक की समस्या से गोवावासियों की स्थिति और भी बदतर हो गई है। आजीविका पुनः प्रारंभ होने की अनिश्चितता बहुत बढ़ गई है। प्रभावित परिवार इस समय भुखमरी जैसी स्थिति में आ गए हैं और वे बड़े कर्ज, घर में रखी बचत और छोटी-मोटी अस्थायी वैकल्पिक नौकरियों आदि के सहारे से जी रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के प्रावधानों के कारण हमने अभी अपनी बैठकों और घर-घर जाकर चलाए जा रहे अभियान को रोक दिया है, लेकिन अगर हमें सरकार एवं संबंधित प्राधिकरणों से तत्काल राहत नहीं मिली तो हमें अपने जीवन को बचाने के लिए मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा।"
जीएमपीएफ के वाइस प्रेसिडेंट एवं धारबंदोरा तालुका ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विनायक उर्फ बालाजी गौंस ने कहा, "हम बिना किसी ठोस नतीजे के माननीय अदालतों द्वारा मिल रही तारीख दर तारीख से भी परेशान हैं। हम आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि राज्य में अर्थव्यवस्था को सुधारने और खनन पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आश्रित 3 लाख से ज्यादा लोगों के जीवन को चलाते रहने के लिए गोवा में खनन गतिविधियां शुरू करना बहुत जरूरी है।"
कम से कम सालभर के लिए पर्यटन उद्योग के ठप पड़ जाने से बेरोजगारी की दर और बढ़ेगी। राज्य पर कर्ज पहले ही 20,000 करोड़ रुपये के सर्वोच्च स्तर पर है और मौजूदा हालात को देखते हुए यह आगे और भी बढ़ने की आशंका है। कोविड-19 महामारी के कारण बनी अप्रत्याशित स्थिति की वजह से राज्य में सामाजिक-आर्थिक ढांचे पर और भी बुरा असर पड़ा है।
पिछले दो साल में खनन आश्रितों ने गोवा में खनन गतिविधियां जल्द शुरू कराने की दिशा में हस्तक्षेप करने और कदम उठाने के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार के अधिकारियों से कई बार मुलाकात की है और कई अपील व मेमोरेंडम सौंपे हैं। जीएमपीएफ ने माननीय राष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय खनन मंत्री, केंद्रीय कानून मंत्री, गोवा के मुख्यमंत्री और विभिन्न दलों के सांसदों एवं केंद्र व राज्य के नौकरशाहों समेत विभिन्न संबंधित पक्षों से मुलाकात की है।