नईदिल्ली : गोवा में खनन पर निर्भर लाखों लोगों की आजीविका की रक्षा के लिए संघर्षरत गोवा माइनिंग पीपुल्स फ्रंट (जीएमपीएफ) ने गोवा में खनन के मामले को उलझाने के लिए गोवा के एनजीओ गोवा फाउंडेशन की आलोचना की है।गोवा में पिछले 32 महीने से खनन गतिविधियां रुकी हुई है।कोविड.19 महामारी ने राज्य की आर्थिक स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया है। राज्य का कर्ज इस समय सर्वकालिक उच्चस्तर पर बना हुआ है और पिछले 3 साल में कर्ज की राशि तेजी से बढ़ी है।सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य में 88 खनन पट्टे रद किए जाने के बाद 15 मार्च 2018 से खनन गतिविधियां पूरी तरह रुकी हुई हैं।
जीएमपीएफ के प्रेसिडेंट पुतीगांवकर ने कहा गोवा फाउंडेशन की ओर से लगातार गलत तरीके से पेश किए जाने के कारण राज्य ने लगातार तीसरा माइनिंग सीजन गंवा दिया है जिससे राजस्व में 3500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।यह एनजीओ गोवा में खनन पर निर्भर लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।हम सब राज्य में खनन से जुड़े मसले के सुगमता से हल की उम्मीद कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट में होने जा रही अगली सुनवाई से हमें व्यापक आशाएं हैं और हम उम्मीद करते हैं कि गोवा फाउंडेशन फिर झूठी दलीलें देकर प्रक्रिया में देरी का कारण नहीं बनेगा।श्
श्रीपुतीगांव करने आगे कहा एनजीओ की नकारात्मक भूमिका के कारण सरकार खनन गतिविधियों को पुनः प्रारंभ करने की दिशा में समाधान निकालने में देरी कर रही है।गोवा फाउंडेशन को गोवा की खनन गतिविधियों पर नजर रखने वाली कुछ विदेशी ताकतों की बी.टीम की तरह काम नहीं करना चाहिए।हर बीतते दिन के साथ खनन पर निर्भर लोगों का संकट गहराता जा रहा है।गोवा फाउंडेशन इस दलील के साथ सबको भरमा रहा है कि राज्य खनन निगम को इससे फायदा होगा जबकि उसे अच्छी तरह से पता है कि परिचालन में चल रहे पट्टों के मामले में राज्य निगम व्यावहारिक नहीं है।खनन उद्योग से जुड़े लोगों की आजीविका की चिंता किए बिना ये लोग अपना एजेंडा बढ़ाने में लगे हैं।हाल ही में एनजीओ ने खुद कहा था कि राज्य में खनन गतिविधियां पुनः प्रारंभ करने में 3 साल का समय लग जाएगा। क्या ये इस बारे में कुछ बताएंगे कि इन 3 वर्षों के दौरान हमारीआजीविका की क्या व्यवस्था होगी , हम उम्मीद करते हैं कि यदि उनके पास कोई एक्शन प्लान है तो वह व्यावहारिक एवं लागू करने के योग्य होगा और उनके पिछले प्लान की तरह अव्यावहारिक नहीं होगा।