नई दिल्ली । सरकार ने त्योहारों के सीजन के दौरान खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों में प्रतिबंध लगाने के लिए पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क में कमी की है। इससे सरकार को करीब 1,100 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होगा। तेल उद्योग का मानना है कि इससे खाद्य तेलों की खुदरा कीमतें 4-5 रुपए प्रति लीटर कम हो सकती हैं। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की एक विज्ञप्ति के अनुसार इन तीनों खाद्य तेलों के कच्चे और रिफाइंड दोनों प्रकारों पर सीमा शुल्क में कटौती की गई है, लेकिन कच्चे पाम तेल पर कृषि उपकर 17.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना में कहा कि कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर इसे 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है। इस कटौती से कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल पर प्रभावी शुल्क घटकर 24.75 प्रतिशत रह जाएगा, जबकि रिफाइंड पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर प्रभावी शुल्क 35.75 प्रतिशत का होगा। खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों के बढ़ने से खाद्य तेलों की घरेलू कीमतें वर्ष 2021-22 के दौरान उच्चस्तर पर बनी रही हैं जो मुद्रास्फीति के साथ-साथ उपभोक्ताओं के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय है। खाद्य तेलों पर लगने वाला आयात शुल्क उन महत्वपूर्ण कारकों में से एक है, जिसके कारण खाद्य तेलों की पहुंच लागत और घरेलू कीमतें प्रभावित हुई।