नई दिल्ली : मार्च 2017 में पूर्वोत्तर स्थित खारसेंग ऑयल फील्ड में हिस्सेदारी रखने वाली तेल एवं गैस कंपनी जेईकेपीएल को इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आईसीसी) के तहत कॉरपोरेट इंसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (सीआईआरपी) में भेजा गया था। इसकी कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एक्जिम और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं और कोई ऑपरेशनल क्रेडिटर नहीं है। आरपी की नियुक्ति के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनीहिंदुस्तान ऑयल एक्सप्लोरेशन कंपनी (एचओईसी) और निजी क्षेत्र की कंपनी इनविनायर एनर्जी ने इसमें रुचि दिखाई। जेईकेपीएल के लिए आखिरी बोली दिसंबर 2017 में मंगाई गई, जिसमें निजी क्षेत्र की इनविनायर एनर्जी सफल रेजोल्यूशन आवेदक के तौर पर सामने आई। इसकी बोली को सीओसी की तरफ से पूरे बहुमत के साथ स्वीकृति मिली।
माननीय एनक्लैट की इलाहाबाद बेंच ने दिसंबर 2017 में निजी क्षेत्र की तेल कंपनी इनविनायर एनर्जी को सफल रेजोल्यूशन आवेदक घोषित किया। यह ऐसे कुछ मामलों में शामिल हुआ जिसमें आईबीसी की ओर से तय 270 दिन की समय सीमा के अंदर रेजोल्यूशन की प्रक्रिया पूरी हो गई। हालांकि एचओईसी ने इसमें धांधली का आरोप लगाते हुए फरवरी 2018 में एनसीएलटी के फैसले को एनक्लैट के सामने चुनौती दी। माननीय एनक्लैट ने 23 जनवरी 2019 को एक अन्य रेजोल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त करने और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की दोनों कंपनियों से पुनः रेजोल्यूशन प्लान लेने का निर्देश दिया। सीओसी ने भी एनक्लैट के इस फैसले से सहमति जता दी।
जून 2019 में पूरी हुई बोली की दूसरी प्रक्रिया में एक बार फिर निजी क्षेत्र की तेल कंपनी सफल रेजोल्यूशन आवेदक के रूप में सामने आई और सीओसी ने उसके द्वारा दिए गए रेजोल्यूशन प्लान को एकमत से स्वीकार किया। इसमें फाइनेंशियल क्रेडिटर्स को 123 करोड़ रुपए का भुगतान करने की बात कही गई थी। एनसीएलटी की इलाहाबाद बेंच ने फरवरी 2020 में एक बार फिर निजी क्षेत्र की तेल कंपनी को सफल रेजोल्यूशन आवेदक घोषित करते हुए फैसला सुनाया।
हालांकि एचओईसी ने एक बार फिर माननीय एनक्लैट के समक्ष इस फैसले को चुनौती दे दी। मार्च 2020 में माननीय एनक्लैट ने कोई वैध आधार ना होने के कारण याचिका को खारिज कर दिया। स्पष्ट था कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी की योजना जबरन जेईकेपीएल को लिक्विडेशन की प्रक्रिया में लाना और फिर अपनी एक ऑफशोर सब्सिडियरी के जरिए खारसेंग फील्ड में जेईकेपीएल की हिस्सेदारी को बिना किसी कीमत के हासिल कर लेना था। उसकी इस कोशिश के कारण सरकारी बैंकों को ₹123 करोड़ का नुकसान हुआ।
इनविनायर एनर्जी के रेजोल्यूशन प्लान के क्रियान्वयन का काम सितंबर 2020 में पूरा हो गया। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एक्जिम और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया समेत फाइनेंशियल क्रेडिटर्स को 123 करोड़ रुपए नकद प्राप्त हुए और जेईकेपीएल की 100% हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की तेल कंपनी इनविनायर एनर्जी को दे दी गई। इसके द्वारा नामित लोगों को जेईकेपीएल के बोर्ड में डायरेक्टर के तौर पर नियुक्ति दी गई।
लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी इस फैसले से भी संतुष्ट नहीं है और प्रक्रिया में बाधा पहुंचाना चाहती है। इसकी कोशिशों से साफ दिखाई देता है कि कंपनी जेईकेपीएल का अधिग्रहण बिना किसी कीमत के करना चाहती है। अपने क्षुद्र कारपोरेट एजेंडा को पूरा करने और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को नुकसान पहुंचाने के लिए इसने निजी क्षेत्र की कंपनी के रेजोल्यूशन प्लान का क्रियान्वयन पूरा होने के बाद 2 नवंबर 2020 को तीसरी बार फिर एनक्लैट के समक्ष याचिका दी। इसमें रेजोल्यूशन प्लान को चुनौती दी गई थी लेकिन क्रियान्वयन पूरा हो चुके होने के कारण याचिका को खारिज कर दिया गया। एनक्लैट ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी को विफल रेजोल्यूशन आवेदक माना। 17 नवंबर 2020 को एनक्लैट ने एचओईसी की अपील को खारिज करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया और यह सुनिश्चित किया कि विफल रेजोल्यूशन आवेदक को कॉरपोरेट रिवाइवल की प्रक्रिया रोके रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।