इस्लामाबाद: पाकिस्तान में गुरुवार को आम चुनाव की वोटिंग के बाद मतगणना जारी है। इस दौरान चुनाव आयोग ने बार-बार गिनती रोकी है और करीब 24 घंटे से ज्यादा बीत जाने के बाद भी कुछ ही सीटों पर नतीजों का ऐलान हुआ है। हालांकि जो रुझान सामने आए हैं, उनमें इमरान खान समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सबसे आगे चल रहे हैं। पार्टी का चुनाव निशान छिनने के बाद निर्दलीय लड़े इमरान खान की पार्टी के नेता करीब 100 सीटों पर बढ़त बनाए गए हैं। इसके बाद दूसरे नंबर नवाज शरीफ की पीएमएलएन को करीब 60 सीटों पर बढ़त है। इस चुनाव में सेना का समर्थन होने की वजह से नवाज शरीफ की जीत तय मानी जा रही थी और गुरुवार शाम को ही उनका विजयी भाषण होना भी तय था लेकिन नतीजे आने के बाद चीजें बदल गई हैं।
पाकिस्तान में जिस तरह से चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। उसके बाद कई तरह के सवाल हैं। खासतौर से ये सवाल उठ रहा है कि क्या पाकिस्तानी सेना पीटीआई की जीत को स्वीकार करेगी या फिर पाक एक गृहयुद्ध जैसी स्थिति की ओर बढ़ सकता है। पाकिस्तान की पत्रकार आरजू काजमी ने कहा है कि जिस तरह से नतीजों में देरी की जा रही है, उससे लगता है कि सेना इलेक्शन में कुछ हेरफेर कर सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर उसने इतना जद्दोजहद नवाज शरीफ को सत्ता सौंपने के लिए की है तो फिर वह आसानी से हार नहीं मानेगी।
क्या मुजीब के समय जैसी स्थिति होगी
सामरिक विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने कहा, पाक की सेना ने जब-जब चुनाव में दखल दी, अपने मन मुताबिक नतीजे हासिल किए। सिर्फ एक बार 1970 में ये देखने को मिला था जब सेना की तमाम कोशिशों के बावजूद शेख मुजीबुर्रहमान जीत गए थे। सेना ने उस वक्त मुजीब को हराने के लिए एडी-चोटी का जोर लगाया लेकिन सेना की एक नहीं चली थी, इसके बाद नतीजा ये निकला था कि भारी हिंसा हुई थी और फिर कुछ समय बाद पाकिस्तान दो हिस्सों में टूट भी गया था। अब एक बार फिर चुनाव में पाक सेना हारती दिख रही है, उसने इमरान खान को जेल भेजने से लेकर पार्टी का चुनाव निशान छीनने तक सब किया लेकिन उसके लोग फिर भी जीत रहे हैं। ऐसे में हो सकता है कि मुजीब जैसे एपिसोड फिर हो जाए। ये मान लीजिए कि जो लोग एक बड़ी बढ़त बनाए हुए हैं, अगर उनको हराया जाता है तो वो आराम से तो घर नहीं जाएंगे फिर हिंसा होगी। ऐसे में बहुत मुमकिन है कि लोगों के सामने फिर से सेना को हारना पड़े और पीटीआई की जीत को स्वीकार करना पड़े।