काबुल: भारत के एक प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान की राजधानी में तालिबान शासन के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। यहां भारत की अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता देने पर चर्चा की गई। लेकिन एक चर्चा और हुई जिसे सुन पाकिस्तान को मिर्ची लग सकती है। दरअसल भारत ने अफगान व्यापारियों की ओर से चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल पर भी चर्चा की। भारतीय अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को तालिबानी शासन के विदेश मंत्री अमीर खान मोत्ताकी से मुलाकात की। इस बीच इस बात की भी अटकलें लग रही हैं कि भारत अफगानिस्तान में महावाणिज्यिक दूतावास खोल सकता है।
भारत अफगानिस्तान के जरिए व्यापार शुरू करना चाहता है। भारत का प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान के व्यापारियों से भी मिला। भारत ने कहा, 'अफगानिस्तान के लोगों के साथ ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध हैं और ये पुराने संबंध हमारे दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करते रहेंगे।' तालिबानी विदेश मंत्रालय के डिप्टी प्रवक्ता जिया अहमद टकाल ने कहा भारतीय अधिकारियों और अफगान व्यापारियों के बीच आर्थिक और वीजा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई।
अफगान व्यापारियों को मिलेगा वीजा
तालिबान के सत्ता में वापस लौटने के बाद भारत ने अफगान नागरिकों को वीजा जारी करना बंद कर दिया। लेकिन तब से काबुल के साथ उसने आश्चर्यजनक तरीके से सकारात्मक संबंध स्थापित किए। इससे पहले तालिबान और भारत के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि भारत इसे पाकिस्तान का प्रतिनिधि मानता था। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय प्रतिनिधि ने अफगान व्यापारियों को वीजा जारी करने के लिए जरूरी फैसिलिटी स्थापित करने का आश्वासन दिया है।
पाकिस्तान को लगेगा झटका
काबुल नाउ की रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सप्ताह की शुरुआत में कई मीडिया आउटलेट्स ने बताया कि भारत प्रमुख व्यापारिक केंद्र कंधार में एक वाणिज्य दूतावास खोलने की कोशिश कर रहा है। यह शहर पाकिस्तान के करीब है। यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि पहले की सरकार में भी इस्लामाबाद कंधार और जलालाबाद में भारतीय वाणिज्य दूतावासों की मौजूदगी पर आपत्ति जताता रहा है। पाकिस्तान इनपर जासूसी और सरकार विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है।