युद्ध की धरती पानीपत में जन्मीं निशा दहिया पेरिस ओलिंपिक में हार गईं। लेकिन उनकी हार ने रेसलिंग एरिना में मौजूदा हर दर्शक, विपक्षी प्लेयर और रेसलिंग फैन को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। सोमवार को 68 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग में निशा ने प्री-क्वार्टर फाइनल जीतकर अगले राउंड में जगह बनाई।
क्वार्टर फाइनल में निशा 5 मिनट तक 8-1 की बढ़त बनाए हुए थे। तभी उनकी कोहनी में तेज दर्द उठा, वह दर्द से कराहने लगीं। डॉक्टर्स आए, लड़ना लगभग नामुमकिन ही था, लेकिन निशा खड़ी रहीं। फाइट की, लेकिन विरोधी ने उनकी इंजरी का फायदा उठाया और आखिरी 12 सेकेंड में बढ़त लेकर 10-8 से मैच जीत लिया।
प्री क्वार्टर फाइनल जीता
निशा ने 68 किग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग में क्वालिफाई किया था। सोमवार दोपहर को प्री क्वार्टर फाइनल मैच में उन्होंने यूक्रेन की टेटियाना सोवा को 6-4 से हरा दिया। मैच करीबी रहा, लेकिन निशा ने बाजी मार ली।
जीत ही चुकी थी क्वार्टर फाइनल, लेकिन...
क्वार्टर फाइनल में निशा का सामना नॉर्थ कोरिया की पाक सोल गम से हुआ। शाम 6:30 बजे मैच शुरू हुआ। निशा ने पहले राउंड से ही बढ़त बनाए रखी। 5 मिनट तक निशा 8-1 से आगे थी और जीत की स्थिति में पहुंच गई थीं। तभी उन्हें दाएं हाथ की कोहनी में दर्द महसूस हुआ।
दर्द के बावजूद निशा ने लड़ना जारी रखा, 5 मिनट 27 सेकेंड तक भी वह 8-2 से आगे थीं। तभी वह दर्द से कराह उठीं और मैट पर ही गिर गईं। ऑफिशियल डॉक्टर उन्हें देखने आए, कोच उन्हें प्रोत्साहित करने लगे, लेकिन दर्द इतना तेज था कि निशा की आंखों से आंसू निकल आए।
कोरियन रेसलर को निशा की इंजरी का फायदा उठाने का मौका मिल गया। उन्होंने निशा के हाथ पर ही अटैक किया और तेजी से पॉइंट्स बटोरकर स्कोर लाइन 8-8 कर दी।
आखिरी 12 सेकेंड में जीतीं कोरियन रेसलर
8-8 की बराबरी के बाद 12 ही सेकेंड का समय बाकी था। निशा को अब असहनीय दर्द हुआ, उनकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। उन्होंने रेफरी से कुछ देर का समय मांगा, रेफरी ने टाइमर रोके रखा। निशा ने डॉक्टर्स की हेल्प ली और किसी तरह हिम्मत जुटाकर रेसलिंग जारी रखी।
कोरियन रेसलर ने तो इतने में जीतने का तरीका खोज लिया था। उन्होंने फिर निशा की इंजर्ड कोहनी को निशाना बनाया और 10-8 की बढ़त ले ली। इस स्कोरलाइन के साथ मैच खत्म हुआ। निशा हार गईं और फुट-फुट कर रोने लगीं। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि विनिंग पोजिशन में होते हुए भी वह मैच कैसे हार गईं। कोच ने उन्हें संभाला, लेकिन उनकी आंखों से आंसू कहां रुकने वाले थे।
ओलिंपिक मेडलिस्ट साक्षी बोलीं- निशा को ऐसे हारते हुए देखना मेरे लिए दर्दनाक
2016 रियो ओलिंपिक में भारत को रेसलिंग ब्रॉन्ज दिलाने वालीं साक्षी मलिक इस दौरान ब्रॉडकास्टर्स के लिए कॉमेंट्री कर रही थीं। वह बोलीं, 'निशा ने मेरे साथ ही प्रैक्टिस की है। उसे इस दर्द में हारते हुए देखना मेरे लिए बहुत ज्यादा दर्दनाक है। मुझे उससे मेडल की उम्मीद थी। वह जरूर पोडियम फिनिश करती।
पेरिस जाने से पहले उसने कहा था, दीदी आपने ब्रॉन्ज जीता है, मैं आप ही की स्टूडेंट हूं, ब्रॉन्ज तो जीत ही जाऊंगी। मैंने उससे गोल्ड जीतने के लिए कहा था, लेकिन यह हार मुझे चुभ रही है।'
कोच बोले- कोरिया ने जानबूझकर उसकी इंजरी बढ़ाई
मैच खत्म होते ही ओलिंपिक मेडिकल टीम निशा को स्कैन के लिए हॉस्पिटल ले गई। कोच वीरेंदर दहिया बोले, 'कोरिया ने जान बूझकर निशा को चोट पहुंचाई। हमने देखा, कोरियन कोच अपनी रेसलर को निशा के हाथ पर अटैक करने के निर्देश दे रहे थे। उन्होंने निशा से मेडल छीन लिया।
निशा ने जिस तरह शुरुआत की, वह मेडल जीतने की दावेदार थीं। कोरियन रेसलर ने उसके इंजर्ड हाथ पर ही अटैक किया। निशा ने इसी रेसलर को एशियन क्वालिफायर में हराया था। वह किसी भी तरह मैच नहीं हारने वाली थी।'
अब भी है ब्रॉन्ज मेडल जीतने का चांस
रेसलिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के लिए सेमीफाइनल तक पहुंचने की जरूरत नहीं होती। यहां कोरियन रेसलर अगर फाइनल में पहुंचीं तो निशा को रेपचेज राउंड में ब्रॉन्ज मेडल मैच खेलने का मौका मिलेगा। हालांकि, इसके लिए निशा को फिट भी होना पड़ेगा। फिलहाल उनकी स्कैन रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी।