नई दिल्ली । चालू वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक देश का कच्चे इस्पात का उत्पादन 18 प्रतिशत बढ़कर 12 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा। इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में इस्पात की मांग 10 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार बीते वित्त वर्ष 2020-21 में भारत का कच्चे इस्पात का उत्पादन 10.2 करोड़ टन रहा था। यह इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में 6.1 प्रतिशत की गिरावट है। बीते वित्त वर्ष में कोविड-19 महामारी और उसकी वजह से लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से इस्पात क्षेत्र का उत्पादन प्रभावित हुआ था। कुलस्ते ने चालू वित्त वर्ष के उत्पादन के अनुमान को साझा करते हुए कहा कि अप्रैल-जुलाई, 2021 में देश का कच्चे इस्पात का उत्पादन 44.6 प्रतिशत बढ़कर 3.75 करोड़ टन से अधिक रहा है। इससे मुझे भरोसा होता है कि चालू वित्त वर्ष में हम 11.5 से 12 करोड़ टन का उत्पादन हासिल कर पाएंगे।
राष्ट्रीय इस्पात नीति-2017 के तहत सरकार ने 2030-31 तक 30 करोड़ टन का इस्पात उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इस्पात की खपत पर एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि 2021-22 में यह 10 करोड़ टन से अधिक रहेगी। मार्च, 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में इस्पात की खपत 9.34 करोड़ टन रही थी, जो 2019-20 की तुलना में 6.7 प्रतिशत कम है।कुलस्ते ने कहा कि सरकार ने 100 करोड़ रुपए की राष्ट्रीय संरचना पाइपलाइन (एनआईपी) की घोषणा की है। इसके तहत देशभर में विभिन्न ऐसी परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जाएगा जिसमें इस्पात का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल होगा। उन्होंने कहा कि बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं मसलन प्रधानमंत्री आवास योजना, भारतमाला, सागरमाला और प्रतिबद्ध ढुलाई गलियारा..पहले से चल रही हैं। इनसे देश में इस्पात की मांग को प्रोत्साहन मिलेगा। मंत्री ने कहा कि सरकार ने स्थानीय स्तर पर विनिर्मित इस्पात को प्रोत्साहन देने तथा कच्चे माल के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए भी कई कदम उठाए हैं।