नई दिल्ली : राष्ट्र प्रथम की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप और कोविड-19 महामारी को थामने के लिए लगाए गए अप्रत्याशित लॉकडाउन के कारण उपजी परिस्थितियों में जरूरी कदम उठाते हुए आईटीसी ने एक अनूठी पहल की है, जिससे ऐसा माहौल बनाने में मदद मिली है, जो सरकार की मनरेगा योजना के तहत किसानों और दैनिक कामगारों के लिए आजीविका की व्यवस्था करने में सहायक होगा।
लॉकडाउन के दौरान आईटीसी ने 25 राज्यों में जरूरतमंदों और फ्रंटलाइन वॉरियर्स की मदद के लिए पहले से ही व्यापक कदम उठाया हुआ हैइसी के साथ कंपनी ने यह भी अनुभव किया कि इस समय सीमांत किसानों और भूमिहीन मजदूरों की आजीविका पर भी गहरा दुष्प्रभाव पड़ा है, और ऐसे में अपने ग्रामीण सहयोगियों की आर्थिक स्थिति को पुनः बेहतर करने की दिशा में सहायता करना समय की आवश्यकता है। प्रवासी मजदूरों के अपने घरों की ओर लौट आने से चुनौती और भी बढ़ गई है।
जैसे ही कृषि संबंधी गतिविधियों पर लगी रोक हटाई गई, आईटीसी ने तुरंत कमान संभाल लीसरकार और स्थानीय लोगों से विमर्श करते हुए आईटीसी ने अपनी पहुंच वाले क्षेत्रों में अपने साथ जुड़े विभिन्न एनजीओ को प्रोत्साहित किया कि वे किसानों और मजदूरों के पास जाएं और मनरेगा के तहत मिल रहे रोजगार का लाभ लेने में उनकी मदद करें। मुश्किल में जी रहे परिवारों की पहचान के लिए तालुका और ब्लॉक स्तर पर प्रशासन के साथ व्यापक विमर्श किया गया। जिन लोगों के पास जॉब कार्ड नहीं है, उन्हें जॉब कार्ड पाने में मदद दी गई। एक व्यापक योजना पर काम किया गया, जिसमें कामगारों की सुरक्षा के साथ-साथ आमजन के लिए स्थायी परिसंपत्तियों के निर्माण पर जोर दिया गया। इसमें जल संरक्षण के लिए जरूरी इकाइयां जैसे सिंचाई के लिए गड्ढे, तालाब और मेड़ आदि बनाने का कार्य कराया जा रहा है, जिससे इन क्षेत्रों में फसलों की उत्पादकता भी बढ़ेगी।
इस शानदार पहल पर आईटीसी के कृषि कारोबार के ग्रुप हेड श्री एस. शिवकुमार ने कहा, "अपने 'राष्ट्र प्रथम : सब साथ बढ़ें' के ध्येय वाक्य से प्रेरित आईटीसी जिला प्रशासनों और एनजीओ पार्टनर्स के साथ मिलकर अपनी पहुंच वाले क्षेत्रों में कामगारों को मनरेगा योजना के तहत आय का अवसर पाने में मदद कर रही है। हमारा लक्ष्य इस अप्रत्याशित और चुनौतीपूर्ण समय में ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों तक पहुंचाते हुए इस योजना को विस्तार देना है।"
आईटीसी ने अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न कार्यों के लिए योजना एवं क्रियान्वयन में तकनीकी सहयोग भी दिया है। काम को आंकने के लिए सरकार के साथ इंपैक्ट डाटा भी साझा किया गया। इस बात पर जोर दिया गया कि सुरक्षा के पर्याप्त कदम उठाए जाएं, काम की गुणवत्ता और परिणाम बेहतर हो, बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर बने और बेहतर परिसंपत्तियों का निर्माण हो। समय से आंकड़े प्रस्तुत करने और भुगतान सुनिश्चित करने की दिशा में भी कंपनी सहयोग कर रही है।
कार्यक्रम की व्यापकता और इसका प्रभाव उल्लेखनीय है। मात्र 45 दिन में 17 करोड़ रुपये के 76 लाख कार्यदिवस पैदा हुए हैं। पहले मनरेगा के तहत काम शुरू करने संबंधी प्रोटोकॉल को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी। थोड़े ही समय में कार्यक्रम को 14 राज्यों के 63 जिलों के 1,467 गांवों तक पहुंचाया जा चुका है।
आईटीसी का सामाजिक निवेश कार्यक्रम : आईटीसी दशकों से ग्रामीण भारत को मजबूत करने की दिशा में प्रतिबद्ध हैइसके ई-चौपाल कार्यक्रम से 40 लाख किसान सशक्त हुए हैं। इसके विस्तृत सामाजिक निवेश कार्यक्रम में वनीकरण, वाटरशेड का निर्माण, पशुपालन, महिला सशक्तीकरण, व्यावसायिक प्रशिक्षण, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, ठोस कचरा प्रबंधन आदि शामिल हैं। इन कार्यक्रमों ने ग्रामीण भारत पर परिवर्तनकारी प्रभाव डाला है और वैश्विक स्तर पर इनकी सराहना भी हुई है