प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिक्स समिट में शिरकत से पहले भारत और चीन के बीच बड़ा समझौता हुआ है। दोनों देश लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर पेट्रोलिंग के लिए सहमत हो गए हैं। इससे पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद सुलझ सकता है और टकराव में कमी आएगी।
भारत ने चीन के साथ सामान्य संबंध बनाने के लिए यह शर्त रखी थी कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को उन इलाकों से हटना होगा, जहां उसने साढ़े चार साल पहले अतिक्रमण किया था।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत और चीन में सीमा पर पेट्रोलिंग सिस्टम को लेकर समझौता हुआ है। इससे मई, 2020 से पहले की स्थिति वापस आएगी। NDTV वर्ल्ड समिट में बातचीत के दौरान जयशंकर ने कहा-
यह एक सकारात्मक और अच्छा घटनाक्रम है। यह बहुत धैर्य और बहुत दृढ़ कूटनीति का नतीजा है। हम सितंबर, 2020 से बातचीत कर रहे हैं। उस समय मास्को में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद मुझे लगा था कि हम शांति और 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ सकेंगे।
इससे पहले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को ही इस समझौते की जानकारी दी थी। साथ ही उन्होंने बताया था कि पेट्रोलिंग के नए सिस्टम पर सहमति के बाद दोनों देश सेनाएं पीछे हटा सकते हैं।
देपसांग प्लेन डेमचोक में सैनिकों को पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर जाने की इजाजत अभी नहीं है। यहां सेनाएं अभी मौजूद हैं। पेट्रोलिंग का नया सिस्टम इन्हीं पॉइंट्स से संबंधित है। इससे गलवान जैसे टकराव को टाला जा सकेगा।
2020 में गलवान में हुआ था चीन-भारत की सेना में टकराव
आर्मी चीफ ने कहा था- हमें लड़ना भी है, सहयोग भी करना है
अप्रैल 2020 में एक सैन्य अभ्यास के बाद चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में कम से कम 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था। लेकिन दो साल बाद चीनी पीएलए 4 स्थानों से पीछे हट गई थी। दौलत बेग ओल्डी और डेमचौक के फ्रिक्शन प्वाइंट्स पर गश्त पर सहमति नहीं बनी थी और भारतीय सेना को कई इलाकों में रोका जा रहा था। अब भारत सभी जगहों पर पेट्रोलिंग कर सकेगा।
1 अक्टूबर को भारत के आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि चीन के साथ भारत के हालात स्थिर हैं, लेकिन ये सामान्य नहीं हैं, काफी संवेदनशील हैं। चीन के साथ हमें लड़ना भी है, सहयोग करना है, साथ रहना है, सामना करना है और चुनौती भी देनी है। उन्होंने कहा था कि भारत और चीन के बीच अप्रैल से अब तक कमांडर लेवल की 17 बैठकें हुई हैं। इन बैठकों में हमने कई मुद्दों पर चर्चा की है।
जिनेवा में विदेश मंत्री ने कहा था- चीन से विवाद का 75% हल निकला
विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा में एक समिट के दौरान कहा था कि चीन के साथ विवाद का 75% हल निकल गया है। विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण का मुद्दा अभी भी गंभीर है।
जयशंकर ने कहा कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया है। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे।
हालांकि, 25 सितंबर को न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में उन्होंने 75% विवाद हल होने वाले अपने बयान को लेकर सफाई दी। उन्होंने कहा, 'मैंने यह बात सिर्फ सैनिकों के पीछे हटने के संदर्भ में कही थी।
बैठकों की मदद से तनाव खत्म करने की कोशिशें जारी
सितंबर की शुरुआत में विदेश मंत्रालय ने भारत-चीन रिश्तों के मौजूदा हालात को लेकर अपडेट दिया था। उन्होंने कहा था कि बातचीत जारी रखने और वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) बैठकों के माध्यम से तनाव को सुलझाने की कोशिशें जारी हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि विदेश मंत्री एस जयशंकर कई फोरम में लगातार चीन के साथ संबंधों पर चर्चा कर चुके हैं।
गलवान घाटी में क्या हुआ था
15 जून 2020 को चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगह पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं।
भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे। हालात इतने खराब हो गए कि LAC पर गोलियां चलीं।
इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। बाद में भारत ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसमें करीब 60 चीनी जवान मारे गए थे।