नई दिल्ली । राज्यों द्वारा नियमों का मसौदा बनाने में देरी होने से चार श्रम संहिताओं का चालू वित्त वर्ष 2021-22 में कार्यान्वयन होना मुश्किल लग रहा है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक श्रम संहिताओं को लागू करने में देरी की एक और वजह राजनीतिक जैसे उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव भी है। इन कानूनों का कार्यान्वयन इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि इनके लागू होते ही कर्मचारियों का वेतन घट जाएगा और कंपनियों को ऊंचे भविष्य निधि दायित्व का बोझ उठाना पड़ेगा। श्रम मंत्रालय चार संहिताओं के तहत नियमों के साथ तैयार है। लेकिन राज्य नई संहिताओं के तहत इन नियमों को अंतिम रूप देने में सुस्त हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार भी राजनीतिक कारणों से इन संहिताओं को अभी लागू नहीं करना चाहती है। उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में सरकार अभी इन संहिताओं को लागू नहीं करना चाहती है। संसद द्वारा इन चार संहिताओं को पारित किया जा चुका है। लेकिन केंद्र के अलावा राज्य सरकारों को भी इन संहिताओं, नियमों को अधिसूचित करना जरूरी है। उसके बाद ही इन्हें संबंधित क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है।