झाबुआ / श्री पुष्कर केमिकल्स एन्ड फर्टिलाइजर्स लि.-डाईज, रसायन और खाद क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों में से एक है । इस कंपनी के हरियाणा और महाराष्ट्र में खाद के तीन उपक्रम है। जिसके द्वारा कंपनी हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक के किसानों को उत्तम गुणवत्ता की खाद सही कीमत पर उपलब्ध कराती है । कंपनी ने जून-2020 से मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में 'मध्यभारत फास्फेट प्रा.लि.'नाम से एक और खाद निर्माण करने वाली कंपनी की शुरूआत की है, जहाँ पर उत्तम क्वालिटी के सिंगल सुपर फास्फेट की सभी ग्रेडों का (सिंगल सुपर फास्फेट-पावडर, दाणेदार, झिंकेटेड, बोरोनेटेडयुक्त) निर्माण किया जाएगा और इन उत्तम क्वालिटी के बनें खादों को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, गुजरात राज्यों के किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा हैं।कंपनी के विपणन उपाध्यक्ष राकेश पुरोहित के अनुसार हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्यों में सही कीमत पर उत्तम खादों का सफलतापूर्वक वितरण किया जा रहा है और किसानों की निरंतर बढ़ती पसंद और कंपनी के उत्पादों के प्रति बढ़ती माँगों को देखते हुए हमने 'मध्यभारत फाॅस्फेट प्रा.लि.' नाम से मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में खाद निर्माण के कारखानें की इसी वर्ष शुरूआत की है। इस कारखानें की उत्पादन क्षमता १,५०,००० मे. टन प्रति वर्ष है। यहां पर बनें सिंगल सुपर फाॅस्फेट की सभी ग्रेडों का वितरण मध्यप्रदेश के किसानों को मध्यप्रदेश मार्केटिंग फेडरेशन एवं अन्य खाद विक्रेताओं द्वारा किया जा रहा है ।
कंपनी के प्रबंध निर्देशक पुनित मखारिया के अनुसार "जहाँ एक ओर 'श्री पुष्कर केमिकल्स एन्ड फर्टिलाइजर्स ने हमेशा देश के किसानों को सही कीमत पर उत्तम गुणवत्ता का खाद देने का प्रयास किया है, तो वहीं दूसरी ओर इन उत्पादों के उत्पादन के समय पर्यावरण का भी विशेष ख्याल रखा है। उन्होनें कहा यह कंपनी देश के 'जीरो वेस्ट' कंपनियों में से एक है और हमारे लिए जीरो वेस्ट कंपनी होना एक बडी उपलब्धि है। जहां हम खाद के उत्पादन के लिए उपलब्ध सामग्रियों को पुर्ननवीनीकरण करते हैं और इस प्रकार अन्य पर्यावरण हानिकारक रसायनों पर निर्भरता कम करते हुए परिपत्र प्रणाली को विकसित करनें में मदद करते हैं।आने वाले समय में कंपनी मध्यप्रदेश में अपनी सिंगल सुपर फास्फेट की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के साथ- साथ अन्य फसल उपयोगी खादों का उत्पादन अथवा निर्यात करेगी। जिससे की किसानों को फसलों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी ।