मास्को । नाटो में शामिल होने से रोकने के लिए यूक्रेन पर हमला करने वाले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की टेंशन कम होने की बजाय अब और ज्यादा बढ़ने वाली है। द्वितीय विश्वयुद्ध के ठीक बाद सोवियत संघ से निपटने के लिए 1949 में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का गठन हुआ था। उस समय इस सैन्य संगठन के 12 संस्थापक सदस्य थे। सन 2022 में इन सदस्यों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है और जल्द ही इसमें विस्तार हो सकता है।
माना जा रहा है कि रूस के यूक्रेन पर हमले को देखते हुए दो और देश फिनलैंड और स्वीडन नाटो की सदस्यता ले सकते हैं। यूक्रेन नाटो का एक भागीदार देश है, लेकिन वह अभी तक सैन्य गठबंधन नाटो का सदस्य नहीं है। हालांकि, वह 2008 से नाटों में शामिल करने की मांग कर रहा है।
रूस के हमले के बाद इस मांग ने तेजी पकड़ी है कि यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनाया जाए। ऐसा करने पर रूस के साथ अमेरिका का तनाव बहुत बढ़ जाएगा इसलिए अमेरिका उसे सदस्यता देने में आनाकानी कर रहा है। यूक्रेन के अलावा फिनलैंड और स्वीडन भी अभी नाटो के सदस्य नहीं है, लेकिन यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद उनके देश में भी इस पर गंभीरता से विचार-विमर्श शुरू हो गया है। स्थिति यह है कि रूसी हमले के बाद स्वीडन और फिनलैंड में नाटो में शामिल होने को लेकर जनता का समर्थन बहुत ज्यादा बढ़ गया है।
ऐसा पहली बार है जब स्वीडन में बहुमत से लोगों ने नाटो में शामिल होने का समर्थन किया है। ताजा पोल में 51 फीसदी लोग नाटो में शामिल होने के पक्ष में हैं। जबकि, फिनलैंड में हुए ताजा सर्वेक्षण में 53 फीसदी लोगों ने नाटो में शामिल होने का समर्थन किया है। इस सर्वे में यह भी सामने आया कि यह आंकड़ा तब बढ़कर 66 फीसदी हो जाता है, जब स्वीडन भी नाटो की सदस्यता को स्वीकार करे। फिनलैंड और स्वीडन दोनों ही देशों के लिए नाटो की सदस्यता का विकल्प खुला हुआ है, लेकिन फिनलैंड और स्वीडन के नेताओं ने अपने देश को सैन्य संगठन में शामिल होने के लिए नहीं कहा है।
दोनों देश नाटो की सदस्यता लेते हैं, तो उत्तरी यूरोप में पुतिन की टेंशन काफी बढ़ जाएगी, जो रूस की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले सेंट पीटर्सबर्ग से सटा हुआ है। इसी खतरे को देखते हुए पिछले दिनों रूस के विदेश मंत्रालय ने फिनलैंड और स्वीडन को सैन्य कार्रवाई की धमकी दी थी। नाटो के नियम के मुताबिक अगर किसी सदस्य देश पर विदेशी ताकत द्वारा हमला किया जाता है तो इसे पूरे गठबंधन पर हमला माना जाता है और सभी देश उसके बचाव के लिए आगे आएंगे। यह सैन्य संगठन सोवियत संघ से निपटने के लिए बनाया गया था और आज इसके 30 सदस्य हैं। यूक्रेन को लेकर पूर्व सोवियत संघ के प्रतिनिधि के रूप में रूस और नाटो के बीच तनाव एक बार फिर काफी बढ़ गया है।