धर्मशाला: चेन्नई के एक अस्पताल की आईसीयू में लेटी चित्रा रविचंद्रन बार-बार बेहोश हो रही थीं, लेकिन जब उन्होंने बेटे रविचंद्रन अश्विन को अपने बिस्तर के पास देखा तो उनके मन में बस एक ही सवाल था, ‘तुम यहां क्यों आए?’ अनिल कुंबले के बाद 500 टेस्ट विकेट लेने वाले दूसरे भारतीय गेंदबाज बनने के कुछ घंटों बाद, मां के बीमार होने होने पर अश्विन राजकोट में इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट के बीच में चेन्नै अपने घर वापस चले गए। अश्विन की मां अचेत हो गई थीं और उन्हें अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करना पड़ा था।आईसीयू में थी मां
अश्विन ने अपने 100वें टेस्ट की पूर्व संध्या पर ‘ईएसपीएन क्रिकइंफो’ से कहा, ‘जब मैं अस्पताल पहुंचा, तो मेरी मां लगातार होश में आने के बाद बेहोश हो जा रही थीं। मुझे वहां देखने के बाद उन्होंने पहली चीज मुझसे पूछी, ‘तुम क्यों आए‘? अगली बार जब वह होश में आईं तो उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि तुम्हें वापस जाना चाहिए क्योंकि टेस्ट मैच चल रहा है।’मां-बाप को दिया क्रेडिट
इस ऑफ स्पिनर ने अपने माता-पिता रविचंद्रन और चित्रा के त्याग को भावनात्मक रूप से याद करते हुए कहा कि दोनों ने उन्हें क्रिकेटर बनाने के लिए कई कुर्बानियां दी हैं। अश्विन के पिता क्रिकेट के बड़े प्रशंसक हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह टीएनसीए के प्रथम श्रेणी लीग मैचों को देखने के लिए भी मैदान पर मौजूद रहते हैं।
पुराने दोस्तों को किया यादअश्विन ने कहा, ‘यह ऐसा था कि मानो वह मेरे जरिए अपना सपना पूरा कर रहे हों। कल्पना कीजिए कि कोई क्रिकेटर बनना चाहता था (लेकिन नहीं बनता)। उसकी शादी हो जाती है, उसका एक बेटा है। और वह अपने बेटे के माध्यम से सपने को जीना चाहता है, और वह मुझे पढ़ाने से लेकर, मेरे सहपाठियों से नोट्स लेने तक, मुझे निजी ट्यूशन में ले जाने तक सब कुछ करते थे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मैं अपनी शिक्षा पूरी करने के साथ-साथ अधिकतम समय क्रिकेट को दे सकूं।’