नई दिल्ली: पैरा जैवलिन थ्रो के नीरज चोपड़ा कहे जाने वाले सुमित अंतिल ने पेरिस में कमाल कर दिया। पेरिस पैरालंपिक में सुमित ने एफ64 इवेंट में 70.59 मीटर दूर भाला फेंक कर पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इसके साथ ही सुमित पैरालंपिक या ओलंपिक में बैक टू बैक गोल्ड जीतकर अपने खिताब को बरकरार रखने वाले पहले भारतीय बने। सुमित ने तोक्यो पैरालंपिक में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। ऐसे में अब हर कोई जानना चाहता है कि कौन हैं ये भारत के स्टार पैरा भाला फेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल।
सुमित अंतिल भारत के पैरा एथलीट हैं। सुमित का जन्म 7 जून 1988 को हरियाणा के सोनीपत में खेवरा गांव में हुआ था। 17 साल की उम्र में सुमित को एक सड़क हादसे में अपना पैर गंवाना पड़ा। इस गंभीर दुर्घटना के बावजूद सुमित के अंदर खेल के लिए जुनून कम नहीं हुआ। सुमित कृत्रिम पैर के साथ पैरा एथलीट के रूप में देश का नाम रौशन किया। पेरिस पैरालंपिक से पहले सुमित ने इसी साल पैरा वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 69.50 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड अपने नाम किया था।
तोक्यो में भी सुमित ने बनाया था रिकॉर्ड
बता दें कि सुमित अंतिल ने तोक्यो ओलंपिक में भी खूब धमाल मचाया था। उन्होंने तीन बार विश्व रिकॉर्ड कायम करते हुए 68.55 मीटर के प्रयास से गोल्ड मेडल जीता था। उन्होंने इसके बाद 2023 पैरा विश्व चैम्पियनशिप में 70.83 मीटर के थ्रो के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ दिया। सुमित यहीं पर नहीं पर नहीं रुके, उन्होंने हांगझोऊ एशियाई पैरा खेलों में इसमें सुधार करते हुए 73.29 मीटर के फिर से गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
क्या होता है पैरा एथलीट के लिए एफ64
पैरालंपिक में उस तरह के एथलीट भाग लेते हैं जो हाथ या पैर के किसी विकार से ग्रसित हों। इसके लिए ओलंपिक कमेटी की तरफ से अलग-अलग कैटेगरी तय की जाती है। इसी में से एक है F64। इस कैटेगरी के तहत उन पैरा एथलीट को रखा जाता है जिन्हें पैर के निचले हिस्से में किसी तरह की समस्या होती है। ऐसी स्थिति में एथलीट एस्थेटिक्स यानी कृत्रिम पैर का उपयोग करके खड़े होने की स्थिति वाली प्रतियोगिताओं में भाग ले सकते हैं।