नई दिल्ली । दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक अहम फैसले में नए बनने वाले महाविद्यालयों और केंद्रों के नाम विनायक दामोदर सावरकर और दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज के नाम पर होंगे। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह निर्णय विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद में लिया गया। सूत्रों ने बताया कि परिषद ने तीन सदस्यों- सीमा दास, राजपाल सिंह पवार और अधिवक्ता अशोक अग्रवाल की असहमति के बावजूद सहायक प्राध्यापक के चुनाव और नियुक्ति में प्रस्तावित बदलाव को मंजूरी दे दी गई।
सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की अगस्त में हुई बैठक में फैसला किया गया इन महाविद्यालयों, केंद्र का नाम सुषमा स्वराज, स्वामी विवेकानंद, वीडी सावरकर और सरदार पटेल पर रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि परिषद अटल बिहारी वाजपेयी, सावित्री बाई फुले, अरुण जेटली, चौधरी ब्रह्म प्रकाश और सीडी देशमुख का नाम सुझाया था। परिषद ने नामों पर अंतिम फैसले के लिए कुलपति को अधिकृत किया था।
परिषद ने असिस्टेंट प्रोफेसर्स की स्क्रीनिंग और नियुक्ति में बदलाव के प्रस्ताव को भी पास कर दिया है, जबकि तीन सदस्यों दास, पवार और अग्रवाल इसे लेकर असहमत थे। प्रस्ताव में इंटरव्यू में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की संख्या को सीमित करने की बात कही गई थी, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था। कॉलेज में उम्मीदवारों की संख्या की कोई सीमा नहीं रहेगी। जबकि, विश्वविद्यालय के विभागों में पहली वैकेंसी पर कम से कम 30 उम्मीदवार और अतिरिक्त वैकेंसी के लिए 10 उम्मीदवारों को बुलाया जाएगा। असिस्टेंट प्रोफेसर के चयन में पीएचडी को अहमियत देने पर सदस्यों ने असंतोष जाहिर किया था। उनका कहना था कि कई संविदा शिक्षकों को पीएचडी के बगैर नुकसान उठाना पड़ेगा। इन सदस्यों ने शिक्षा मंत्रालय के 5 दिसंबर 2019 के पत्र को लागू करने की मांग की थी। पत्र में कहा गया था, ‘कम अवधि, अस्थाई या अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए और काम कर रहे और मानदंडों को पूरा करने वाली फैकल्टी को संबंधित विश्वविद्यालयों या उसके कॉलेज में इंटरव्यू के लिए चुना जाएगा।’