भोपाल । प्रदेश में फर्शी पत्थर का अवैध उत्खनन रोकने के लिए वन विभाग नया प्रयोग करने जा रहा है। यह प्रयोग सबसे पहले ग्वालियर के घाटीगांव क्षेत्र में किया जाएगा, जिसमें अवैध उत्खनन के लिए खोदे गए बड़े-बड़े गड्ढों की जीपीएस रीडिंग निकलवाई जा रही है। जीपीएस रीडिंग आने के बाद बीट के वनरक्षक और स्टाफ को गड्ढों का जिम्मा दिया जाएगा। वे रोज गड्ढों की गहराई, चौड़ाई और लंबाई की नापतौल करेंगे और डीएफओ को रिपोर्ट देंगे। हर गड्ढे की जिम्मेदारी अलग-अलग आदमी को दी जाएगी, जिससे अगर गड्ढे की लंबाई, चौड़ाई में अंतर आया तो यह पता चल जाएगा कि अवैध उत्खनन किया गया है। यह एक मानीटरिंग टूल बतौर तैयार किया जा रहा है, जिसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। ऐसे गड्ढों पर निगरानी दिन में एक बार से ज्यादा कराई जाएगी।
गौरतलब है कि प्रदेश में ग्वालियर-चंबल संभाग अवैध उत्खनन के लिए कुख्यात है। इसमें रेत, काला पत्थर, सफेद पत्थर, फर्शी पत्थर आदि शामिल हैं। अवैध उत्खनन को रोकने के लिए एसएएफ से लेकर स्पेशल फोर्स तक यहां लगाया गया है, लेकिन अवैध उत्खनन का दाग नहीं मिट सका है। ग्वालियर की घाटीगांव तहसील में फर्शी पत्थर का उत्खनन बड़े पैमाने पर होता है और वहां शासकीय जमीनों सहित निजी जमीनों पर पत्थर की लीज भी हैं। घाटीगांव का फर्शी पत्थर विदेश तक सप्लाई होता है।
हर गड्ढे की होगी टैगिंग
माफिया पत्थर का उत्खनन अलग-अलग जगह करता है। जिससे बड़े-बड़े गड्ढे हो जाते हैं, इन गड्ढों से पत्थर का उत्खनन तब तक किया जाता है, जबतक पत्थर खत्म नहीं हो जाता है या ज्यादा गहराई हो जाती है। इसके बाद दूसरे स्थान पर गड्ढे खोदकर उत्खनन शुरू कर दिया जाता है। घाटीगांव क्षेत्र में ऐसे गड्ढों की जीपीएस रीडिंग निकलवाई जा रही है, जिससे हर गड्ढे की टैगिंग होगी। इसके बाद बीट गार्ड के साथ उसकी टीम और आसपास के ऐसे वनरक्षकों को भी गड्ढों की जिम्मदारी दी जाएगी, जिनके क्षेत्र में ज्यादा उत्खनन नहीं है। गड्ढे की लंबाई, चौड़ाई और गहराई की रिपोर्ट रोज डीएफओ लेंगे, जिससे यह पता चलेगा कि अवैध उत्खनन तो नहीं हो रहा है। औचक चेकिंग भी गड्ढों की जाएगी, जिससे रिपोर्ट सही आ रही है या नहीं,यह जांच हो सके।
एक बार नहीं दो बार से ज्यादा जाएगा स्टाफ
बीट गार्ड और उनका स्टाफ अवैध उत्खनन वाले क्षेत्र में गड्ढों पर निगरानी रखने के लिए एक बार नहीं बल्कि दो बार से ज्यादा जाएगा। ऐसा इसलिए कि कहीं माफिया उस समय तो उत्खनन नहीं कर रहा, जब गड्ढों पर कोई निगरानी न रखता हो। स्टाफ ने जितनी बार विजिट की, उसकी रिपोर्ट भी ली जाएगी।