नई दिल्ली : देश की पहली तेल एवं गैस कंपनी कही जाने वाली हिंदुस्तान ऑयल एक्सप्लोरेशन कंपनी (एचओईसी) ने एक समय में यूनोकैलए शेवरॉन और ईएनआई जैसी बड़ी कंपनियों की प्रमोटरशिप से लेकर अब तक बहुत सफर किया है। वित्त वर्ष 2019.20 की 36वीं वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक इस समय प्रमोटर के पास केवल 5745 शेयर बचे हैं। यह एचओईसी के मात्र 0.004% के बराबर है। मुख्यतर अनुचित एवं गलत प्रशासन के कारण इसमें अंतरराष्ट्रीय निवेश नहीं होना कंपनी के शीर्ष के दिनों से आज की बदहाल स्थिति तक की कहानी दर्शाता है। कंपनी के किसी भी निवेशक के लिए इस समय एचओईसी में जो भी संभावनाएं दिखाई दे रही हैं वे बेहद अस्थिर हैं। कंपनी के प्रबंधन विशेष रूप से सीईओ और सीएफओ के फैसलों और नेतृत्व के कारण अभी होने वाला मुनाफा ज्यादा समय तक टिकना मुश्किल है। ऊर्जा क्षेत्र की एक ब्लू चिप कंपनी की अंतरिम सीईओ पद से अचानक हटने और 10 महीने से कुछ नहीं कर रहे व्यक्ति को कंपनी का सीईओ नियुक्त किया गया है। वहीं हार्डी ऑयल एक्सप्लोरेशन
(इंडिया) इंक में अकाउंटेंट के तौर पर काम कर चुके व्यक्ति को सीएफओ चुना गया है जिसने अचानक ही हार्डी को रहस्यमय तरीके से छोड़ दिया था। ऐसे लोगों से यह जिम्मेदारी निभाने की उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वे एचओईसी को विकास के रास्ते पर ले आएंगे।कंपनी से जुड़े करीबी सूत्रों के मुताबिक वित्त वर्ष 2019 20 फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स से पता चलता है कि सर्विस प्रोवाइडर्स और वेंडर्स का
₹150 करोड़ बकाया होने के बावजूद बताई गई इस लीडरशिप टीम को अच्छा खासा बोनस और ईएसओपी दिया गया। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब लीडरशिप टीम खुद को अच्छा खासा रिवाॅर्ड दे रही है तब जुलाई 2020 से अब तक वेतन में
40% तक की कटौती की खबरों के साथ कई अहम लोगों ने कंपनी क्यों छोड़ दी है। लोगों के लगातार कंपनी छोड़ने से निसंदेह कारोबार की प्रगति पर गंभीर असर पड़ेगा और साथ ही बी.80 ब्लॉक से गैस के वाणिज्यिक उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ेगा।एचओईसी ने फरवरी 2020 में ओएनजीसी की ड्रिल्ड डिस्कवरी वेल बी.81 से करीब 1000 मीटर की दूरी पर स्थित अपनी पहली वेल डी.2 से पहले कमर्शियल एक्सट्रैक्शन की शुरुआत की थी। इसके लिए शेल्फ से ड्रिलिंग रिग और बेकर ह्यूग्स से ड्रिलिंग सर्विस ली गई थी। पूरी कवायद का असली मकसद स्टॉक प्राइस को ऊपर उठाना था। कंपनी ने ऐसा माहौल बनाया जैसे डी.2 तेल का भंडार है। इन सब से इतर डी.2 पूरी तरह बेकार साबित हुआ और यहां से कुछ गैस और अन्य उत्पाद ही निकले । इससे बेअसर एचओईसी ने अप्रैल 2020 में दूसरे कुएं डी.1 में ड्रिलिंग की शुरुआत की। यह ओएनजीसी के बी.81 से मात्र 350 मीटर की दूरी पर स्थित है। कंपनी ने इसी क्षेत्र में ओएनजीसी की डिस्कवरी के दम पर खुद भी ऐसी ही सफलता की उम्मीद की थी। यह भी एक निष्फल प्रयास साबित हुआ और यहां थोड़े तेल के साथ कुछ मात्रा में गैस का पता चला। साथ ही यहां वाटर कट भी देखा गया। एक राष्ट्रीय तेल कंपनी के पूर्व जानकार ने सरलता से समझाया कि ऑयल और वाटर कांटेक्ट के बीच केसिंग और परफोर्रेशन क्लोजर के पीछे बेकार सीमेंट लगाए जाने के कारण हाई वाटर कट का सामना करना पड़ा। यह बात भी समझ में आती है कि एचओईसी ने बी.81 कुएं का परीक्षण 24 घंटे से भी कम समय मे़ किया था ताकि इसकी कम उत्पादन क्षमता और शॉर्ट लाइफ का पता ना चलेए क्योंकि ऐसा होने से कंपनी के शेयरों की कीमत गिर सकती थी। अंततः अपने आखिरी प्रयास के तौर पर एचओईसी ने 2020 में एक अन्य ऑफशोर वेल बी.80 की ड्रिलिंग पूरी की। 8000 बीओईपीडी से ज्यादा के उत्पादन के दावे के बावजूद प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ही बंद हो गया। बी.80 से कमर्शियल प्रोडक्शन अब भी बहुत बेहतर साबित हो सकता हैए लेकिन यह स्पष्ट दिख रहा है कि एचओईसी के पास प्रोडक्शन इंफ्रास्ट्रक्चर के डिजाइन में जरूरी बदलाव करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं बची है। परीक्षण के दौरान पाई गई ज्यादा गैस और कम तेल के साथ.साथ पानी के ऊंचे स्तर से निपटने के लिए भी डिजाइन में ये बदलाव जरूरी हैं। साथ ही विभिन्न ऑर्डरए हटाए गए जैक.अप ड्रिलिंग रिग को मोबाइल ऑफशोर प्रोडक्शन यूनिट( एमओपीयू ) में बदलने जैसे बदलाव और लैंपरेल यार्ड पर सेकेंड हैंड टॉपसाइड की रेट्रोफिटिंग जैसे कार्यों के लिए विभिन्न वेंडर्स का भुगतान भी रोक दिया गया है। हफ्ते महीनों में बदल गए हैं और अब तक इस दिशा में कुछ बदलाव होता नहीं दिख रहा है जिससे यह स्पष्ट है कि एचओईसी के पास बी.80 प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए पैसा नहीं बचा है। दुख की बात है कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान सर्विस प्रोवाइडर्स और वेंडर्स को हुआ हैए जिन्हें मार्च 2020 से अपनी सेवाओं एवं उपकरणों के लिए भुगतान नहीं मिल पाया है। अकेले ब्लॉक बी.80 से जुड़े सर्विस प्रोवाइडर्स को लेकर ही एचओईसी पर 150 करोड़ रुपए से ज्यादा की देनदारी हो गई है। सबसे ज्यादा चिंता वाली बात यह है कि सर्विस प्रोवाइडर्स को यह अंदाजा भी नहीं है कि अपना बकाया पाने के लिए उन्हें और कितना इंतजार करना पड़ेगा। वित्तीय स्तर पर इस खतरनाक स्थिति के बावजूद एचओईसी का प्रबंधन यह दावा करने में लगा है कि सब कुछ ठीक हैए जबकि यह कुआं पूरी तरह खाली होता दिख रहा है।