इस्लामाबाद । पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी में विदेश मंत्रियों ने बैठक में भारत के विरुद्ध जमकर विष बमन किया। चीन में उइगरों मुस्लिमों के दमन पर चुप्पी साधने वाले ओआईसी के 46 सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने अपने प्रस्ताव में कश्मीर, भारतीय स्कूलों में हिजाब बैन और मिसाइल दुर्घटना को लेकर भारत पर निशाना साधा।
ओआईसी ने कश्मीर में आत्मनिर्णय के अधिकार को देने और भारतीय मुस्लिमों के साथ कथित भेदभाव को रोकने की मांग की।
यही नहीं ओआईसी ने भारतीय मिसाइल दुर्घटना की पाकिस्तान के साथ मिलकर जांच करने की इमरान सरकार की मांग का समर्थन भी किया। ओआईसी ने अपने प्रस्ताव में कहा कि हम भारत में मुस्लिमों के साथ कथित भेदभाव और असहिष्णुता की नीति की निंदा करते हैं जिससे मुस्लिम राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से अलग-थलग हो गए हैं।
पाकिस्तान के इशारे पर मुस्लिम देशों ने कहा, 'हम भारत में मुस्लिमों की पहचान पर घातक हमले से चिंतित हैं जो हिजाब को निशाना बनाने वाले भेदभावपूर्ण कानूनों से कई गुना बढ़ गया है। हम भारत का आह्वान करते हैं कि इस तरह के भेदभावपूर्ण कानूनों को तत्काल खत्म किया जाए। साथ ही भारतीय मुस्लिमों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए और उनके धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की जाए।'
एक पाकिस्तानी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ओआईसी सदस्य देशों की बैठक के केंद्र में कश्मीर का मुद्दा भी रहा। ओआईसी ने कहा कि वह कश्मीर के लोगों के साथ एकजुट है। साथ ही कश्मीरी लोगों के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और ओआईसी के प्रस्तावों के मुताबिक आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करता है। चीनी विदेश मंत्री की मौजूदगी में उइगर मुस्लिमों के दमन पर चुप्पी साधने वाले ओआईसी ने कश्मीर में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा की।
उन्होंने ऐलान किया कि जम्मू-कश्मीर विवाद का अंतिम समाधान सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के मुताबिक किया जाए। ओआईसी ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए भारत से मांग की है कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल किया जाए। ओआईसी ने भारतीय मिसाइल के दुर्घटनावश चल जाने के मुद्दे पर भी पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाया। ओआईसी ने कहा कि हम भारत से मांग करते हैं कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानकों का पालन करे और इस पूरे मामले की पाकिस्तान के साथ मिलकर संयुक्त जांच करे। पाकिस्तान भी संयुक्त जांच की मांग कर रहा है जिसे भारत ने खारिज कर दिया है।
इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ओआईसी को लेकर अपनी हताशा का इजहार किया था। इमरान ने कहा था कि हम डेढ़ अरब मुसलमान हैं लेकिन कश्मीर और फलस्तीन का मुद्दा सुलझाने में फेल साबित हुए हैं। हमारा कश्मीर पर कोई प्रभाव नहीं है, वे हमें गंभीरता से नहीं लेते हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीरी लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने दावा किया कि भारत ने अवैध रूप से कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया लेकिन कुछ नहीं हुआ। इमरान ने कहा कि इसकी वजह यह है कि भारत कश्मीर पर कोई दबाव महसूस नहीं करता है। उन्होंने कहा, 'मैं विदेश नीति के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं क्योंकि हर देश की विदेश नीति अलग-अलग होती है। लेकिन हमें इसके खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने की जरूरत है, नहीं तो ये अत्याचार कश्मीर और फलस्तीन में होते रहेंगे।'